कार्यक्रम के काम में कमाण्डेन्ट प्रवीण ने ग्रामीणों को अंग का दान की महत्व तथा अंग दान वास्तव में अंग प्राप्तकर्ता की मदद कैसे कर सकते हैं। सिंह ने बताया की कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें दानदाता केवल जीवित रह कर ही दान कर सकता है और कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें केवल तब ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है जब दाता की मृत्यु हो जाती है। किसी भी अगदान संगठन के साथ दाता के रूप में पंजीकृत होने के बाद आपको एक दाता कार्ड मिलेगा जो आपको आपकी मृत्यु के बाद अंगदान के लिए उपयुक्त बना देगा। एक अंग दाता का मृत शरीर लगभग 50 लोगों के जीवन को बचा सकता हैं।
80 साल के लोग भी कर सकते है अंगदान-
80 वर्ष के आयु वर्ग के लोग भी अपने अंग को दान कर सकते हैं। कोई भी अंगदाता नेत्र दान करके भी किसी अंधे व्यक्ति की जिंदगी में रोशनी ला सकता हैं। जैसा कि फेफडो गुर्दे, छोटे अत्र, दिल यकृत और पैनक्रिया महत्वपूर्ण अंग होते हैं।
80 वर्ष के आयु वर्ग के लोग भी अपने अंग को दान कर सकते हैं। कोई भी अंगदाता नेत्र दान करके भी किसी अंधे व्यक्ति की जिंदगी में रोशनी ला सकता हैं। जैसा कि फेफडो गुर्दे, छोटे अत्र, दिल यकृत और पैनक्रिया महत्वपूर्ण अंग होते हैं।
कोरोना में ये होती है परेशानी-
कोरोना संकमण के फलस्वरूप संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ बुखार, जुखाम, गले खरास, खांसी, किसी प्रकार की गंध का न आना, खाने में किसी भी प्रकार का स्वाद न आना, जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं। इसके बचाव के लिए हमेशा मास्क का उपयोग करे, सामाजिक दूरी का पालन करे हाथों को कम से कम 40 सेकेन्ड तक साबुन से धोयें। भीड़-भाड़ वाले इलाके से दूर रहे. खासते छिकते समय नाक और मुंह को समाल या मास्क से ढक कर रखे।
कोरोना संकमण के फलस्वरूप संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ बुखार, जुखाम, गले खरास, खांसी, किसी प्रकार की गंध का न आना, खाने में किसी भी प्रकार का स्वाद न आना, जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं। इसके बचाव के लिए हमेशा मास्क का उपयोग करे, सामाजिक दूरी का पालन करे हाथों को कम से कम 40 सेकेन्ड तक साबुन से धोयें। भीड़-भाड़ वाले इलाके से दूर रहे. खासते छिकते समय नाक और मुंह को समाल या मास्क से ढक कर रखे।