सूत्रों ने बताया कि जयपुर, जोधपुर और अजमेर विकास प्राधिकरण ( Ajmer Development Authority ) के साथ यूआइटी समेत अन्य स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थित गड़बड़ाई हुई है। रियल एस्टेट में मंदी के दौर के साथ सरकारी संस्थाओं की जमीन नीलामी की आरक्षित दर अधिक होने के चलते अधिकांश बार नीलामी में लोग रूचि नहीं दिखा रहे हैं। जमीन नीलामी की आरक्षित दर सामान्यतया डीएलसी से अधिक रखी जाती है। वहीं निजी कॉलोनाइजर्स बाजार के हाल को देखते हुए जमीन के भाव कम-अधिक करते रहते हैं। इसको देखते हुए अब सरकार आरक्षित दर के फार्मूले को बदलने जा रही है।
सरकार के इस कदम से सरकारी कॉलोनियों में पहले के मुकाबले कम आरक्षित दर पर नीलामी शुरू की जा सकेगी। ऐसा होने से लोगों के मकान बनाने का सपना सस्ता हो सकता है। विधानसभा में धारीवाल यह कह चुके हैं कि नीलामी के लिए आरक्षित दर कम होने से लोगों को सस्ती जमीन मिल सकेगी।