एकादशी व्रत और पूजा विधि के संबंध में धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन किया गया है। इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित कर विष्णुजी का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प करें। संकल्प के बाद भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा करें। संभव हो तो भगवत कथा का पाठ करें। रात भर भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें। द्वादशी पर जरूरतमंद को भोजन के बाद स्वयं भोजन करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार एकादशी पर सुबह सबसे पहले श्रीगणेश की पूजा करें। इसके बाद विष्णुजी और लक्ष्मीजी की पूजा करें। विष्णुजी को तुलसी के पत्तों के साथ मौसमी फल-फूल, पीले वस्त्र, धूप दीप और प्रसाद चढ़ाएं। घी का दीप जलाकर आरती करें। एकादशी व्रत में फलाहार कर सकते हैं। शाम को तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं। विष्णुजी के मंत्रों का जाप करें।
पापमोचनी एकादशी का व्रत रखकर विष्णुजी की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। उनकी प्रसन्नता से सभी पापों का नाश होता है और वे सभी सुखों से भी भर देते हैं। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से हजार गायों के दान का फल मिलता है। इसके साथ ही ब्रह्म ह्त्या जैसा पाप भी इस व्रत के प्रभाव से खत्म हो जाता है।