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जयपुर

बच्चों को सिखाएं शिष्टाचार

पेरंट्स दो से चार साल के बच्चों में शिष्टाचार के बीज आसानी से रोपित कर सकते हैं। इन मासूमों को इस उम्र में यह कहकर शिष्ट बनाएं कि ऐसा करना अच्छा है, ऐसा करना गलत। नाक में उंगली न डालना, अभिवादन करना, थैंक्स कहना सहित कई ऐसी बातें हैं जो बच्चों को बताकर सहज तरीके से शिष्टाचार सिखाया जा सकता है।

जयपुरJan 24, 2020 / 03:49 pm

Chand Sheikh

बच्चों को सिखाएं शिष्टाचार

बच्चों को सिखाएं शिष्टाचार

पहले बेसिक्स
पेरेंट्स होने के नाते अपने बच्चों को शिष्ट बनाना एक बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है पेरेंट्स की। दो से चार साल के बच्चों में शिष्टता के बीज बोने शुरू कर देना चाहिए। उन्हें शुरू में आधारभूत और जरूरी शिष्टता से अवगत कराया जाए। इस बात का ध्यान रखें कि इस उम्र में बच्चे बड़ी तेजी से सीखते हैं। उन्हें सरल और आसान शब्द सिखाएं और फिर फिर धीरे-धीरे इन्हें शिष्टाचार के रूप में किस तरह इस्तेमाल करते हैं, वे बताएं। उन्हें सहज होकर खेल-खेल में ये सब सिखाते जाएं। पेरेंट्स होने के नाते आप बच्चों के प्रति नम्र और व्यवहार कुशल बने रहें।
प्रशंसा जरूर करें
बच्चे के लिए पेरेंट्स की तरफ से हौसला अफजाई बहुत मायने रखती है। यह न सोचें कि इतने छोटे बच्चे में यह बातें मायने नहीं रखतीं। बच्चों के छोटे-छोटे अच्छे कदमों पर उनकी प्रशंसा करें। इससे वे इस तरह के कामों के लिए अधिक प्रेरित होंगे। दूसरी तरफ अच्छे कामों पर उनकी उपेक्षा उन्हें रूखे व्यवहार की तरफ ले जा सकती हैै। आप खाना खाने के दौरान बच्चे को यह कहकर प्रेरित कर सकते हैं कि आज की डिनर पार्टी गुड ब्वाय है यह। छोटे-छोटे कामों पर बच्चों की गई प्रशंसा उन्हें वह काम आगे भी करते रहने के लिए बहुत प्रेरित करती है। इसमें कंजूसी न बरतें।
जताएं अपेक्षाएं
अपने मासूम बच्चे को यह स्पष्ट मैसेज जरूर दें कि किस तरह का अच्छा व्यवहार आप पसंद करते हैं और किस तरह की आदतें आपको पसंद नहीं है। इससे बच्चा अच्छी तरह समझ जाता है कि किन आदतों की वजह से मम्मी पापा अधिक प्यार करेंगे और कौनसी आदतों से वे मुझ पर गुस्सा होंगे। वे समझ जाते हैं कि नाक में उंगली डालने पर मम्मी नाराज हो जाती हैं और उनकी बताई बात करने पर वे खुश रहती है। इस तरह बच्चे अच्छे व्यवहार की ओर अग्रसर होते हैं।
पे्रक्टिस
बच्चों को शिष्टाचार सिखाते वक्त जो कुछ भी उनको आप सिखा रहे हैं, उसकी प्रेक्टिस कराते रहें। इससे वे जल्दी आपकी बात को ग्रहण करते हैं। मासूम बच्चों की आदत भी होती है अपने माता-पिता की बताई आदतों का अनुसरण करना।
लगातार प्रेरित करें
बच्चे को जो भी सिखाया जाए वह उस पर लगातार अमल करें, इसका ध्यान रखें। मान लीजिए आपने बच्चे को थैंक्स और प्लीज शब्द का इस्तेमाल बताया है तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि इन शब्दों के इस्तेमाल के लिए उसे प्रेरित करते रहें।
खेलने ले जाएं
हर बच्चा अपने खिलौनों को लेकर मैं और मेरा का भाव लिए होता है। ऐसे में आप बच्चे को बाहर अपने साथ खेलने ले जाएं। खिलौने शेयर करने की आदत डालें। अन्य बच्चों के साथ बारी-बारी से खिलाएं ताकि उसमें शेयरिंग का भाव पनपें।
भूमिका के जरिए
बच्चों को विभिन्न तरह की छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाना बड़ा पसंद होती है। उन्हें उनके इस शौक के जरिए शिष्टाचार से जुड़ी विभिन्न तरह की बातें सिखाई जानी चाहिए। इससे उनकी झिाझाक दूर होती है और वे बहुत कुछ सीखते हैं।
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