बच्चों के कपड़े रात को ही संभालकर जमा दें। उसकी यूनिफार्म धुली है या प्रेस की हुई है या नहीं, देख लें। जूते पर पॉलिस देख लें और साथ ही मौजे भी टटोलकर रख लें ताकि सुबह की हड़बड़ी और परेशानी से आप बच सकें।
बच्चे टाइम पर तैयार होकर स्कूल पहुंच जाए, इसके लिए जरूरी है बच्चे का सुबह समय पर उठना। सुबह समय पर उठने के लिए जरूरी है रात को समय पर सोना। बच्चे को रात में समय पर सुला दें। अलार्म भर दें और आदत डालें समय पर उठने की।
पेरेंटस की जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चे को स्वावलंबी बनाएं। अपने बाल बनाने, जूते-मौजे पहनने, कपड़े पहनने, बैग आदि जमाने का काम वह खुद कर लें। बच्चा हर बात पर आप पर निर्भर नहीं रहें। इससे बच्चा स्वावलंबी भी बनेगा।
अपने बच्चे से जुड़े काम की एक चेक लिस्ट बनाएं और इसे अपने दरवाजे के अंदर की तरफ लगा लें ताकि बच्चे को स्कूल रवाना करने से पहले आप देख लें कि बच्चे से जुड़ा कोई जरूरी काम छूट तो नहीं रहा है।
आप अपने बच्चे का सुबह का नाश्ता सादा और पौष्टिक रखें ताकि वह आराम से खा सके और आपको भी इसके लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़े। नाश्ता बच्चे के टेस्ट को ध्यान में रखते हुए तैयार कर सकते हैं।
अपना और अपने बच्चे का रूटीन तय कर लें। इससे आपके और बच्चे के लिए आसानी हो जाएगी। रूटीन तय होने से निर्धारित काम छूटेंगे नहीं और आसानी से हो जाएंगे। काम की प्राथमिकता से अपने रूटीन को निर्धारित कर लें।
बच्चों के नहलाने के मामले में भी जरूरी नहीं कि उन्हें रोज ही नहलाया जाए या फिर सुबह जल्दी ही नहलाया जाए। मौसम और समय के मुताबिक इस पर निर्णय लिया जा सकता है। गर्मियों में बच्चों को सोने से पहले रात को भी नहला सकते हैं।
बच्चे को स्कूल के लिए तैयार करते समय पॉजिटिव बने रहें। किसी तरह की हड़बड़ाहट और गुस्सा ठीक नहीं। किसी सुबह देरी से उठे हैं तो भी व्यवहार को सहज बनाएं रखें और पॉजिटिव रहकर काम में जुटे रहें। बच्चे को खुशी से स्कूल के लिए भेजें।
बच्चे की साप्ताहिक छुट्टी या अधिक दिनों की छुट्टियों के बाद कुछ अंतराल पर मदर को फिर से उनकी तैयारी में जुटना पड़ता है। ऐसे में अचानक उसी दिन जुटनेे के बजाय पहले से तैयारी करें या तैयारी की अपनी आदत बनाए रखें।