दरअसल राजगढ़ मे रहने वाले पचास साल के हरीराम सैनी परिवार के मुखिया थे। वे अपनी पत्नी रज्जो, बेटे डब्लू और बहू मीरा के साथ राजगढ़ से दौसा गए थे एक मंदिर में पूजा करने के लिए 15 मई को। परिवार का ही एक युवक जिसका ऑटो था वह अपने ऑटो में पूरे परिवार को लेकर गया था। पूजा पाठ कर वापस लौटने के दौरान ऑटो चला रहा युवक वापस राजगढ़ की ओर आ रहा था। परिवार के लोग ऑटो में बैठे थे। आठ साल की बेटी चेतना को पिता डब्लू ने फोन किया था कि हम अलवर राजगढ़ तक आ गए हैं और वापस आ रहे हैं। तुम छोटे भाई बहन का ध्यान रखना। पिता ने कहा था कि सबसे लिए प्रसाद लेकर आ रहे हैं। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।
राजगढ़ से कुछ ही दूरी पर ऑटो चला रहे युवक ने ऑटो रोक दिया। सडक किनारे ऑटो रोकने के बाद वह पास ही झाड़ियों में पेशाब करने चला गया। वापस लौटा तो देखा कि ट्रक ने ऑटो को रौंद दिया। ऑटो में बैठे चारों में से तीन की मौके पर ही मौत हो गई। उसके बाद एक अन्य ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसकी सूचना जब परिवार तक पहुंची तो कोहराम मच गया। बच्चे बिलखते रहे आखिरी बार माता पिता से मिलने को। पूरे गांव और कस्बे को इस बारे में पता चला तो सन्नाटा छा गया। अब तीनों बच्चों की जिम्मेदारी उनके शादीशुदा चाचा पर है। इस बीच जब पिता और दादा के साथ काम करने वालों को इस घटना के बारे में पता चला तो उनके लिए दस लाख रुपए सिर्फ दस दिन में ही जुटा लिए गए।
रवि जिंदल, अध्यक्ष
ऑल इंडिया टैंट डेकोरेटर वेलफेयर एसोसिएशन