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जयपुर

इंसानियत जिंदा है: तीन बच्चों के सिर से उठा माता-पिता, दादा-दादी का साया, मददगारों ने दस दिन में जुटाए 10 लाख

पिता और दादा के साथ काम करने वालों और उनके मालिकों ने ये पैसा जुटाया है और अब ये पैसा कल यानि 27 मई को बारहवें के दिन होने वाली पगड़ी पर दिया जाएगा। यह पूरा घटनाक्रम अलवर जिले के राजगढ़ का है।

जयपुरMay 25, 2022 / 12:37 pm

JAYANT SHARMA

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जयपुर
आज से ठीक 11 दिन पहले यानि 15 मई को तड़के 7 साल की चेतना, छह साल का लेखराज और चार साल की काजल एक साथ अनाथ हो गए। तीनों भाई बहनों के सिर से माता-पिता और दादा-दादी का साया उठ गया। प्रशासन को पता चला तो उन्होनें कहा मदद करेंगे, लेकिन क्या मदद करेंगे पता नहीं। सूचना जब बाजार में फैली तो मदद करने वालों ने ऐसी मदद की कि दस दिन मे ही दस लाख जुटा लिए। पिता और दादा के साथ काम करने वालों और उनके मालिकों ने ये पैसा जुटाया है और अब ये पैसा कल यानि 27 मई को बारहवें के दिन होने वाली पगड़ी पर दिया जाएगा। यह पूरा घटनाक्रम अलवर जिले के राजगढ़ का है।
अलवर से दौसा मंदिर पूजा करने गए थे, बेटी को कहा था छोटे भाई बहन का ध्यान रखना, बस आ रहे हैं हम
दरअसल राजगढ़ मे रहने वाले पचास साल के हरीराम सैनी परिवार के मुखिया थे। वे अपनी पत्नी रज्जो, बेटे डब्लू और बहू मीरा के साथ राजगढ़ से दौसा गए थे एक मंदिर में पूजा करने के लिए 15 मई को। परिवार का ही एक युवक जिसका ऑटो था वह अपने ऑटो में पूरे परिवार को लेकर गया था। पूजा पाठ कर वापस लौटने के दौरान ऑटो चला रहा युवक वापस राजगढ़ की ओर आ रहा था। परिवार के लोग ऑटो में बैठे थे। आठ साल की बेटी चेतना को पिता डब्लू ने फोन किया था कि हम अलवर राजगढ़ तक आ गए हैं और वापस आ रहे हैं। तुम छोटे भाई बहन का ध्यान रखना। पिता ने कहा था कि सबसे लिए प्रसाद लेकर आ रहे हैं। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।
लेकिन होनी को मंजूर नहीं था कि परिवार वापस लौटे, ट्रक ने चार कुचल दिए
राजगढ़ से कुछ ही दूरी पर ऑटो चला रहे युवक ने ऑटो रोक दिया। सडक किनारे ऑटो रोकने के बाद वह पास ही झाड़ियों में पेशाब करने चला गया। वापस लौटा तो देखा कि ट्रक ने ऑटो को रौंद दिया। ऑटो में बैठे चारों में से तीन की मौके पर ही मौत हो गई। उसके बाद एक अन्य ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसकी सूचना जब परिवार तक पहुंची तो कोहराम मच गया। बच्चे बिलखते रहे आखिरी बार माता पिता से मिलने को। पूरे गांव और कस्बे को इस बारे में पता चला तो सन्नाटा छा गया। अब तीनों बच्चों की जिम्मेदारी उनके शादीशुदा चाचा पर है। इस बीच जब पिता और दादा के साथ काम करने वालों को इस घटना के बारे में पता चला तो उनके लिए दस लाख रुपए सिर्फ दस दिन में ही जुटा लिए गए।
हरीराम और उनका बेटा डब्लू टैंट का काम करते थे। छोटी मोटी दुकान भी थी। कोरोना ने सब छीन लिया था। इस बीच पिता को शराब पीने की आदत हो गई थी। उनकी इसी लत को छुड़ाने के लिए परिवार मंदिर गया था। जब टैंट के काम से जुड़े साथियों को पता चला तो तीनों बच्चों की मदद करने के लिए साथी आगे आए और दस दिन मे ही दस लाख जुटा लिएं हर बच्चे के नाम पर तीन लाख पैंतीस हजार की एफडी तैयार की गई है जो कल बारहवें पर पगड़ी के दौरान दी जाएगी।
रवि जिंदल, अध्यक्ष
ऑल इंडिया टैंट डेकोरेटर वेलफेयर एसोसिएशन
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