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जयपुर

पार्क बच्चों के खेलने के लिए हैं, योग के लिए अलग व्यवस्था करो

– हाईकोर्ट ने कहा, पार्क में फाउण्टेन, ग्रेवल सडक, बेंच, फिसलपट्टी और वॉक वे के ही निर्माण की अनुमति
 

जयपुरJul 07, 2018 / 08:33 pm

Shailendra Agarwal

biological park

तीन दशक इंतजार के बाद भी नहीं उतरी योजना धरातल पर

पार्क में अब मंदिर या योग के नाम पर होने वाले स्थाई या अस्थाई निर्माण को भी अतिक्रमण माना जाएगा, चाहे वह जेडीए, जयपुर नगर निगम या किसी समिति के ही कब्जे में क्यों न हो? हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि पार्क केवल हरियाली, बच्चों के मस्ती करने, बुजुर्गों के मनोरंजन और लोगों के घूमने के लिए हैं, योग को जगह चाहिए तो जेडीए उसके लिए अलग योजना बनाएं।
कोर्ट ने पार्कों में निर्माण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पार्क मैदान के रूप में शुद्ध हवा का स्रोत हैं, इनमें केवल फाउण्टेन, ग्रेवल सड़क, वॉक वे या फिसलपट्टी ही बनाए जा सकते हैं। अन्य किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस तरह के निर्माण चाहे स्थायी, अस्थायी या अद्र्धस्थायी ही क्यों न हों? यदि कोई दूसरा निर्माण किया जाता है, तो वह प्रवृत्ति हतोत्साहित की जानी चाहिए क्योंकि एेसे निर्माण जनता के धन की बर्बादी हैं। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने जयपुर के अजमेर रोड स्थित मोदी नगर कल्याण एवं विकास समिति की याचिका मंजूर करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट ने इसी मामले की सुनवाई के दौरान मोदी नगर विकास समिति की ओर से पार्क में योग के लिए निर्माण कराने की अनुमति के लिए पेश प्रार्थना पत्र को खारिज भी कर दिया।
निर्माण रुकवाने को दायर हुई थी याचिका
मोदी नगर कल्याण एवं विकास समिति की ओर से याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि अजमेर रोड़ स्थित मोदी नगर के पार्क में टीन शेड लगाए जा रहे हैं। प्रार्थीपक्ष की आेर से अधिवक्ता संदीप पाठक ने कोर्ट को बताया कि पार्क बच्चों के लिए मैदान के रूप में खुला हुआ था। वहां खंभे खड़े कर दिए गए हैं और सार्वजनिक निर्माण विभाग यह निर्माण करा रहा है।
मंत्री के कोष से 10 लाख लेकर योगस्थल बना रहे थे
मोदी नगर विकास समिति की ओर से अधिवक्ता सतीश खांडल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पार्क में योग स्थल विकसित करने दिया जाए। इसके लिए मंत्री के कोष से १० लाख रुपए लिए गए थे। योग गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए यह निर्माण कराया जा रहा था।
सुविधाएं दो, सुरक्षा बढ़ाओ
कोर्ट ने कहा कि पार्क में महिलाओं और पुरुषों के लिए शौचालय की व्यवस्था हो और सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त बंदोबस्त किए जाएं। पार्क में श्वान घूमते हैं, उसकी ओर भी ध्यान दिया जाए।
इनको करनी होगी कार्रवाई
कोर्ट ने कहा कि पार्कों को लेकर लोगों की शिकायतों पर ध्यान दिया जाए, ताकि वहां की स्थिति बताने को सामने आएं। कार्रवाई के लिए उद्यान अधीक्षक और नगर निगम जिम्मेदार होंगे, चाहे पार्क जेडीए के कब्जे में हो या नगर निगम अथवा किसी समिति के पास हो।
महानगरों के लिए फेंफडे हैं, पार्क को बचाओ
पार्कों को खुला और हरा भरा बनाए रखने के लिए यह आदेश बिल्कुल सही है। मैंने भी राजस्थान हाईकोर्ट में रहते पार्क बचाने के लिए आदेश दिए और पार्कों से सम्बन्धित मामलों को गंभीरता से लिया। पार्क महानगर के लिए फेंफडे माने जाते हैं, इनमें धीरे-धीरे निर्माण होते जा रहे हैं। सेंट्रल पार्क में धार्मिक स्थल और अस्तबल सहित कई निर्माण हो रहे हैं। सांसद कोष, विधायक कोष या मंत्री के कोष से पार्क में निर्माण कराना तो बिल्कुल ही गलत है। शुद्ध हवा के लिए शहरों में और है ही क्या, पार्क ही तो बचे हैं? उनको बचाए रखना बेहद जरूरी है और यह हमारी जिम्मेदारी भी है। पार्क सुरक्षित नहीं रहे तो हमको स्थायी नुकसान होगा।- सुनील अम्बवाणी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट
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