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जयपुर

तीन अद्भुत कृतियां कल होंगी देश को समर्पित, PM मोदी करेंगे लोकार्पण, CM गहलोत विशिष्ट अतिथि होंगे

निष्पक्ष और साहसिक पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले ‘राजस्थान पत्रिका समूह’ के लिए 8 सितम्बर का दिन मील के पत्थर के रूप में दर्ज होने जा रहा है।

जयपुरSep 07, 2020 / 10:32 am

santosh

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जयपुर। निष्पक्ष और साहसिक पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले ‘राजस्थान पत्रिका समूह’ के लिए 8 सितम्बर का दिन मील के पत्थर के रूप में दर्ज होने जा रहा है। देश और समाज के प्रति अपने सरोकारों को आगे बढ़ाते हुए पत्रिका समूह इस दिन तीन महत्त्वपूर्ण कृतियां देश को समर्पित करने जा रहा है। इनमें पहली कृति जयपुर की गौरवशाली वास्तुशिल्प व नगर-नियोजन परम्परा में जुडऩे वाला ‘नौवां दरवाजा’, ‘पत्रिका गेट’ और दो कृतियां गुलाब कोठारी रचित अद्भुत ग्रंथ ‘संवाद उपनिषद्’ व ‘अक्षर यात्रा’ हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार सुबह 11 बजे वर्चुअल माध्यम से ‘पत्रिका गेट’ का लोकार्पण और दोनों ग्रंथों का विमोचन करेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे।

जयपुर शहर के मध्य से मिर्जा इस्माइल रोड को 90 डिग्री पर काटते हुए गुजरने वाले जवाहर लाल नेहरू मार्ग के एक छोर पर निर्मित ‘पत्रिका गेट’ कहने को ही एक गेट है। वास्तव में यह वास्तुशिल्प की ऐसी कृति है, जो पूरे राजस्थान की कला, संस्कृति और वास्तुशिल्प को अपने-आप में समेटे हुए है। जयपुर विकास प्राधिकरण के मिशन अनुपम के अन्तर्गत पत्रिका समूह की ओर से बनाया गया यह गेट अपनी निर्माण अवधि के दौरान ही नागरिकों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका था। हवाई अड्डे के पास की स्थिति और प्रदेश की संस्कृति व कला का प्रतिनिधित्व करने के कारण बहुत से लोग इसे ‘गेटवे ऑफ राजस्थान’ भी कहने लगे हैं।

पत्रिका गेट:
जयपुर की स्थापना के वक्त शुरू में परकोटे में सात दरवाजों का निर्माण कराया गया था। इनमें कृष्णपोल (किशनपोल), चांदपोल, सूरजपोल, गंगापोल, शिवपोल (सांगानेरी गेट), घाटगेट व जोरावर सिंह गेट शामिल थे। बाद में सवाई मानसिंह ने आठवें गेट के रूप में चौड़ा रास्ता का न्यूगेट बनवाया। जयपुर की बसावट भी इसी 9 अंक पर आधारित है। जयपुर में 9 चौकडिय़ां हैं। मुख्य मार्ग की लंबाई-चौड़ाई भी नौ या इसके गुणक वाले अंकों में है। परकोटा भी 9 वर्गमील में बसा था। और, दिलचस्प तथ्य यह है कि जयपुर का स्थापना दिवस भी 18 नवंबर है और दोनों अंकों का योग 9 ही होता है। यह सुखद संयोग ही है कि अब पत्रिका गेट जयपुर के 9वें नंबर का गेट होगा। इस गेट की आत्मा भी यही 9 का अंक है। यानी अन्य दरवाजे, पैवेलियन और दीवारों तक में 9 या इसके गुणक अंक का ध्यान रखा गया है।

संवाद उपनिषद्:
इन ग्रंथों में गुलाब कोठारी ने शब्द की शक्ति का प्रणयन किया है। अ, आ से लेकर क्ष, त्र, ज्ञ तक स्वरों और व्यंजनों में मात्राओं के संयोग से बने शब्द असंख्य हैं। अक्षर यात्रा ग्रंथ, दो भागों और 1300 पृष्ठों वाले शब्दों, उनके अर्थों और संदेशों को गुरु-शिष्य संवाद शैली में प्रस्तुत करता है। स्वर और व्यंजन के रूप में शब्द बनते हैं। कंठ से मुख के विभिन्न हिस्सों में स्पर्श और उष्म वायु के तारतम्य से वर्णों में परिवर्तित हो जाता है। संवाद उपनिषद् में वेद विज्ञान को आधार बनाकर संवाद की महत्त्वपूर्ण विद्या पर व्यापक विचार प्रस्तुत किया है। ग्रन्थ में सम्प्रेषण को आत्मा का धर्म बताया गया है। सम्पे्रषण भी एक तो शब्दविहीन व एक तरफा है। और, दूसरा शब्दयुक्त व दो तरफा है। संवाद को सम्प्रेषण का ही दूसरा रूप बताते हुए इस ग्रंथ में कहा गया है कि शब्द और वाणी भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। कई बार हम अपने से ही बात करते हैं और, संवाद यहां भी है। इस ग्रन्थ में ऋषि प्राण, पितृ ऋण, योषा-वृषा, पुरुष-प्रकृति, शरीर-मन-बुद्धि-आत्मा, अग्नि-सोम, अव्यय, यम आदि शास्त्रीय विषयों की विशद व्याख्या की गई है। विद्वतजनों की मान्यता है कि उपनिषदों का प्राकट्य किसी काल विशेष तक सीमित नहीं रहा है। ईश आदि उपनिषद दस थीं। बढ़ते-बढ़ते उनकी संख्या 223 तक पहुंच गई। मध्यकाल में उल्लोपनिषद् नाम से भी एक उपनिषद् प्रकाश में आई। उसी परम्परा में है ‘संवाद उपनिषद्’। पूर्व की उपनिषदों की तरह यह भी गूढ़ से गूढ़तर ज्ञान ‘गुह्यादि गुह्य ज्ञानम्’ हम तक पहुंचती है।

अक्षर यात्रा:
इस ग्रन्थ में स्वरों-व्यंजनों के स्वरूप, उच्चारण स्थान आदि का विस्तृत विवरण है। ग्रन्थ में प्रत्येक अक्षर का अर्थ भी स्पष्ट किया गया है। इस ग्रंथ में ऐसे कई अल्पज्ञात शब्दों की जानकारी भी मिलती है, जो अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। प्रत्येक अध्याय में शब्द और उसके अर्थ को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया गया है।

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