इसी बीच पाकिस्तान में आतंकी मसूद अज़हर ने रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर म्यांमार और भारत से बदला लेने की धमकी दे डाली है। रोहिंग्या को लेकर अब तक लिबरल फेस रखने के हामी लोगों के सामने भी ये सवाल खड़ा हो गया है कि शरणार्थियों की मदद करने का भारत का अपना गौरवशाली अतीत रहा है लेकिन रोहिंग्या मामले में कहां तक जाना है ? क्या ये वो मुद्दा है जिस पर सियासी रोटियां सेंकी जा सकती है? क्या हम मानवीय पहलूओं को नजरअंदाज कर रहे हैं या मानवीय पहलू के नाम पर हम कोई मुसीबत मोल ले रहे हैं। मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी है जहां अक्टूबर को फिर सुनवाई होगी। कोर्ट की प्रक्रिया से परे रोहिंग्या के मुद्दे पर सियासी बयानबाजी क्यों ?
रोहिंग्या मुद्दे पर बोल रहे हैं औबेसी और सलमान खुर्शीद- जानिए रोहिंग्या मुसलमान हैं कौन ? म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक़ 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान
इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी म्यांमार सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया रोहिंग्या म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं
परम्पराओं को निभाने के तरीकों को लेकर बौद्ध और मुस्लिमों में टकराव हुआ 2012 से दोनों के बीच रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी म्यांमार सरकार के मुताबिक रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के मामले पाए गए
इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई, एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए म्यांमार सरकार ने अराकन रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी को आतंकी संगठन घोषित किया बांग्लादेश भी मानता है कि रोहिंग्या संकट मानवीय मुद्दे के साथ सुरक्षा का भी मामला
बांग्लादेश के मंत्री मोहम्मद शहरयार आलम ने रोहिंग्या की आतंकी गतिविधियों पर चिंता जताई कुछ उपद्रवी और आतंकी लोगों के चलते लाखों रोहिंग्या मुसलमान बन गए संदिग्ध रोहिंग्या मुसलमानों पर देश के नेताओं के बयान-
सरकार ने हलफनामे में जल्दबाजी कर ली है, पूरे मामले में मानवीय पक्ष को भी देखा जाना चाहिए। भारत में शरणार्थी आते रहे हैं। सोच-समझ कर फैसला करे केन्द्र हम रोहिंग्या समुदाय के लोगों की मदद की संयुक्त राष्ट्र की अपील का समर्थन करते हैं। हम इस बात को मानते हैं कि समुदाय के सारे आम लोग आतंकी नहीं हैं। – ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
देश में चकमा शरणार्थी, कश्मीर के शरणार्थी, तिब्बत के शरणार्थियों को शरण मिली हैं लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों को जगह नहीं दी जा रही है। – असद्दीन ओबैसी एजेंटों और दलालों के जरिए संगठित रूप से गैरकानूनी रोहिंग्याओं की म्यांमार से भारत में घुसपैठ है। देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान अवैध शरणार्थी हैं। इनसे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा है क्योंकि इनमें से कुछ आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। देश में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40 हजार से ज्यादा है और इन्हें भारत में रहने नहीं दिया जा सकता – केन्द्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
दरअसल, पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य म्यांमार-भारत सीमा पर हैं। जिनमें अरुणाचल प्रदेश में 520 किलोमीटर की सीमा म्यांमार से लगी हुई है। मणिपुर में 398 किलोमीटर सीमा, मिजोरम में 510किलोमीटर सीमा लग रही है। नगालैंड में 215किलोमीटर की खुली सीमा म्यांमार के साथ लगती है। कुल 1643 किलोमीटर की सीमा में बिना घेराबंदी की सीमा पर 16 किलोमीटर भूभाग फ्री जोन है। जिसमें दोनों तरफ आठ-आठ किलोमीटर की सीमाएं शामिल हैं। पश्चिम बंगाल के बेनापोल-हरिदासपुर,हिल्ली,त्रिपुरा के सोनामोरा,कोलकाता और गुवाहाटी से घुसपैठ होती है और रोहिंग्या मुसलमान देश में जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और राजस्थान के मेवात में हैं। जहां कुछ रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी कनेक्शन की पुख्ता खुफिया रिपोर्ट है।
देखिए इस वीडियो में भारत में कहां है रोहिंग्या के एंट्री पॉइंट- देश के बाहर के किसी मसले पर अब तक इतनी तल्ख सियासत नहीं हुई जितनी रोहिंग्या मुस्लिमों के मामले में हो रही है। हर राजनीतिक दल को इस अंतर्राष्ट्रीय मसले में अपना वोट बैंक सधता हुआ दिख रहा है। दरअसल, भारत में रोहिंग्या मुसलमानों में दो वर्ग हैं। कुल 56 हजार रोहिंग्या मुसलमानों में से 40 हजार अवैध चिन्हित किए गए हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों का एक तबका 1980-90 से भारत में हैं। जबकि दूसरा बड़ा तबका 2012 के बाद भारत में अवैध रूप से घुसपैठ कर चुका है। हिंग्या मुसलमानों का तबका अब बांग्लादेश और पूर्वोत्तर राज्यों के जरिए सीधे म्यांमार से आ रहा है। चिंताजनक बात इसीलिए हैं कि अलक़ायदा या आईएस ने एक बयान में दक्षिण एशिया में अपना नेटवर्क बताया था और जांच एजेंसियों को लगता है कि रोहिंग्या मुसलमानों के बीच ये नेटवर्क है।
रोहिंग्या के मसले पर मानवाधिकार कार्यकर्ता और बीजेपी नेता के बीच तल्ख जुबानी जंग …. देश में रोहिंग्या पर जारी अंदरूनी राजनीति के बीच ये अलर्ट भी आया है कि रोहिंग्या मुसलमान समुद्र के रास्ते भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर सकते है। मुद्दा अंदरूनी राजनीति का नहीं है और न ही जाति और धर्म का..। रोहिंग्या मुसलमानों का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहा है। शरणार्थियों के प्रति सदायशयता और आतंक के खतरे के बीच का रास्ता सरकार को निकालना है। इस मुद्दे पर अंदरूनी सियासत जितनी कम हो देश के लिए अच्छा है। सुप्रीम कोर्ट तीन अक्टूबर को करेगा सुनवाई करेगा। तब तक रोहिंग्या को लेकर सियासत जिस रूप में चले लेकिन अंतिम निर्णय संभव नहीं।