सरकारी स्कूलों में राज्य सरकार ने मिड डे मील व अन्नपूर्णा दूध जैसी योजनाएं शुरू कर रखी हैं। लेकिन बच्चों को ये पौष्टिक आहार परोसने के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है। इन हालातों में बच्चों से ही मेहनत कराई जाती है। कई जगहों पर तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अभाव में शिक्षक तक उनके कार्यों में जुटे नजर आते हैं। इस कारण सरकारी स्कूलों की छवि भी खराब होती है।
प्रदेश में 25 हजार में से 9 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत प्रदेश में 25 हजार 8 सौ 32 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से 9 हजार 95 पदों पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं। शिक्षा विभाग में 16 हजार 7 सौ 37 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद खाली पड़े है। पूरे प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा विभाग के सेटअप में तो बहुत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बचे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कम पड़ रहे हैं। कई जगहों पर तो अफसरों ने स्कूलों से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हटाकर अपने कार्यालयों में लगा रखे हैं।