दोस्तों और परिवार के साथ हम खाते हैं 50 फीसदी ज्यादा
ब्रिटेन में हुए शोध के मुताबिक, इकट्ठे होने पर ज्यादा खाने का राज हमारे पूर्वजों की परंपरा निभाने में है
दोस्तों और परिवार के साथ हम खाते हैं 50 फीसदी ज्यादा
ऐसा अक्सर होता है कि जब भी हम दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ इकट्ठा होते हैं तो ज्यादा खाना खा जाते हैं। दरअसल यह हमारी आदत हमारे खून में है और हमारे पूर्वजों से आई है। ब्रिटेन में हुए एक शोध में पाया गया है कि किसी का समूह का हिस्सा होना इस बात पर गहरा प्रभाव डालता है कि आप कितना खाना खाते हैं। यहां तक कि अकेले खाने की तुलना में साथ खाने पर हम 50 फीसदी तक अधिक खाना खा लेते हैं, क्योंकि हमारे पूर्वज शिकार को मिल बांट कर खाते थे और यही मानसिकता हमारे भीतर सदियों से पैठ जमाए हुए है। हजारों साल पहले शिकार करने वाले हमारे पूर्वज खाना ज्यादा होने पर साथ बैठ कर इकट्ठा खाते थे। इससे यह भी होता था कि जब खाना थोड़ा कम होता था तो मिल बांटकर खाने से किसी को कम नहीं पड़ता था। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में हुए शोध के मुताबिक, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि साथ बैठकर खाने से लोग अपनी अलग छवि दूसरे लोगों के सामने प्रस्तुत करना चाहते हों। हमारे पूर्वज साथ बैठ कर इसलिए भी खाना खाते थे कि क्योंकि अकेले बैठ कर खाना खाने की बजाय हमारे दिमाग का रिवॉर्ड सेंटर ऐसा और करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता है। शोध से जुड़ी साइकोलॉजिस्ट डॉ. हेलेन रुडोक के मुताबिक, हमारे पास इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त तथ्य है कि साथ बैठ कर खाने से लोग ज्यादा खाना खाते हैं। डॉ. रुडक और उनके साथियों ने अन्य 42 शोध की भी व्याख्या की। उन्होंने पाया कि अपनी पसंद वाले लोगों के साथ बैठने पर लोग 48 फीसदी तक अधिक खाना खा लेते हैं, वहीं थोड़ी मोटी महिलाएं 29 फीसदी तक ही अधिक खाना खाती हैं। वहीं अगर लोग अजनबियों या फिर ऐसे लोगों के साथ होते हैं, जिन्हें वे पसंद नहीं करते तो इसका प्रभाव अलग होता है।
मजे की बात तो यह भी है कि ऐसा केवल इंसानों के साथ ही नहीं है। चूहे, मुर्गे जैसे जानवरों में भी यही प्रवृत्ति पाई गई है।