जयपुर

कोरोना काल में लोगों ने बचाए 400 करोड़, आदत में ढालना लोगों- सरकार दोनों की जिम्मेदारी

कोरोना महामारी ने आमजन को परेशान तो खूब किया लेकिन बेहतर भविष्य के लिए सबक भी खूब दिए। इस काल में लोगों ने फिजूलखर्च पर लगाम कसी। बेहतर भविष्य के लिए निवेश करने के प्रति जागरुकता भी बढ़ी है।

जयपुरJan 13, 2021 / 04:42 pm

Kamlesh Sharma

कोरोना महामारी ने आमजन को परेशान तो खूब किया लेकिन बेहतर भविष्य के लिए सबक भी खूब दिए। इस काल में लोगों ने फिजूलखर्च पर लगाम कसी। बेहतर भविष्य के लिए निवेश करने के प्रति जागरुकता भी बढ़ी है।

जयपुर। कोरोना महामारी ने आमजन को परेशान तो खूब किया लेकिन बेहतर भविष्य के लिए सबक भी खूब दिए। इस काल में लोगों ने फिजूलखर्च पर लगाम कसी। बेहतर भविष्य के लिए निवेश करने के प्रति जागरुकता भी बढ़ी है।
बंदिशों के कारण ही सही,इस काल में शादियों के खर्च पर लगाम लगी। घर में रहने के कारण पेट्रोल-डीजल की खपत कम हुई। भ्रमण आदि मदों में भी खर्च नाम मात्र का हुआ। मोटा अनुमान देखें तो राज्य में 10 माह में लोगों की जेब से 400 करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं। वहीं, अब सेहत और बेहतर भविष्य के लिए लोग सुरक्षित निवेश पर ध्यान दे रहे हैं।
वर्क फ्राॅम होम
कई माह तक सरकार ने 50 प्रतिशत स्टाफ को घर से काम करने की छूट दी। राज्य में 8 लाख में से 3 लाख कर्मियों ने अलग-अलग अवधि में घरों से काम किया। इससे आवा-गमन सहित अन्य मदों से जुड़े खर्च में बचत हुई। अब विभिन्न कम्पनियां और खुद सरकार भी वर्क फ्राॅम होम को बढ़ावा दे रहे हैं। लोगों को भी काम की यह पद्धती रास आ रही है।
अब उठाएं ऐसे कदम
शादियों में खर्च की सीमा तय हो। कुछ लोग और समाज। ताकि जीवनभर की जमा-पूंजी दिखावे पर खर्च न हो।

कन्वेंस खर्च कम करें। सरकार और लोग, दोनों मिलकर सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दें। वाहन शेयरिंग को अपनाएं। बदली परिस्थितियों के मुताबिक परिवार के हर सदस्य को स्वालंबी बनाएं। अब सेहत और भविष्य की बेहतरी पर ध्यान दें। सुरक्षित निवेश करें। जिस तरह कोरोना काल में शादियों आदि में कम खर्च होने से बचे पैसों से ज्यादातर लोगों ने बच्चों व परिवार की बेहतरी के लिए कदम उठाए।
फिजूलखर्च पर लगाम
बंदिशों ने घटा दिया शादियों का खर्च
25 हजार वैवाहिक समारोह हुए कोरोना काल में

30 से 40 प्रतिशत कम खर्च में हुई शादियां, कोरोना संबंधी बन्दिशों के चलते

200 करोड़ रुपए तक की बचत होने का अनुमान है 25 हजार शादियों के दौरान
रास आया नया विकल्प
560 करोड़ लीटर डीजल और 65 करोड़ लीटर पेट्रोल की खपत होती रही थी कोरोना काल से पहले राज्य में सालाना, जो वर्क फ्राॅम होम और बच्चों की आॅनलाइन पढ़ाई के चलते काफी घट गई, स्कूल टैक्सी-बस भी नहीं चलीं
30 फीसदी डीजल और 11 प्रतिशत पेट्रोल की खपत अब भी कम

01 से 5 हजार रुपए तक बचत हुई है इससे सामान्य परिवार में प्रति व्यक्ति (नौकरीपेशा), विषय विशेषज्ञों के मुताबिक

(यह आंकड़ा नौकरीपेशा, वर्क फ्राॅम होम के तहत काम करने वालों क है। हालांकि महामारी के बाद से बाहर जाने वाले कई लोग निजी वाहनों को अधिक तरजीह देने लगे हैं)
ऑफिस खर्च घटा
कोरोना काल में संक्रमण और लाॅकडाउन के बीच खर्च घटे हैं। खास तौर पर आइटी सेक्टर और काॅरपोरेट पर नजर डालें तो इन सेक्टर में आॅफिस खर्च 7-8 प्रतिशत घटा है। जबकि उनके मुनाफे में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी गई है।
एनके जैन, चेयरमैन, एम्प्लाॅयर एसोसिशयन आॅफ राजस्थान

मिलकर आगे बढ़ाएं
कोरोना काल में समाज के लिए कुछ अच्छी बातें भी सामने आई हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरुरत है। शादियों पर खर्च सीमित हो, इसके लिए अनुशासन की जरुरत है। व्यक्ति, समाज, संगठन और सरकार सब मिलकर खर्च पर लगाम कसें।
प्रो.लाडकुमारी जैन, पूर्व अध्यक्ष, महिला आयोग
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