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जयपुर

कार्मिक सचिव एक माह में करें वरिष्ठ आरएएस के अभ्यावेदन पर निर्णय

याचिकाकर्ता का कहना है कि वह बीसलपुर परियोजना में एडीएम पुनर्वास के पद पर कार्यरत था। 28 मार्च को राज्य सरकार ने उस का तबादला प्रतापगढ़ के धरियाबाद एसडीएम के पद पर कर दिया। जबकि एडीएम का तबादला एडीएम स्तर के पद पर ही किया जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया कि पिछले करीब डेढ़ साल में उसका आठ बार तबादला किया जा चुका है।

जयपुरMay 18, 2020 / 06:58 pm

Gaurav Mayank

कार्मिक सचिव एक माह में करें वरिष्ठ आरएएस के अभ्यावेदन पर निर्णय

कार्मिक सचिव एक माह में करें वरिष्ठ आरएएस के अभ्यावेदन पर निर्णय

जयपुर। हाईकोर्ट ने वरिष्ठ आरएएस का तबादला एसडीएम पद पर करने के मामले में कार्मिक सचिव को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर एक माह में निर्णय करने और याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कार्मिक विभाग में अभ्यावेदन देने की छूट दी है। न्यायाधीश सबीना ने यह आदेश करतार सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए दिए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह बीसलपुर परियोजना में एडीएम पुनर्वास के पद पर कार्यरत था। 28 मार्च को राज्य सरकार ने उस का तबादला प्रतापगढ़ के धरियाबाद एसडीएम के पद पर कर दिया। जबकि एडीएम का तबादला एडीएम स्तर के पद पर ही किया जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया कि पिछले करीब डेढ़ साल में उसका आठ बार तबादला किया जा चुका है। जबकि वह गंभीर बीमारी से भी पीडित है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने की इच्छा जताते हुए मामले में कार्मिक विभाग में अभ्यावेदन देने की छूट मांगी गई। जिसे स्वीकार करते हुए एकलपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
मालपुरा दुष्कर्म के अनुसंधान में हाईकोर्ट का दखल से इनकार

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक के मालपुरा में नाबालिग के साथ हुए गैंगरेप की जांच सीबीआई को भेजने से इनकार करते हुए मामले में दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मामले में चार्जशीट पेश हो चुकी है और पीडिता और उसके परिजनों को कोई आपत्ति हो तो वे ट्रायल कोर्ट के समक्ष जा सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश धरमराज की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिए।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट केा बताया कि उसने पीडिता या उसके परिजनों से मुलाकात नहीं की है और उसे मामले के वर्तमान हालात के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता एक युवा अधिवक्ता है और पीडिता की सहायता करना चाहता है। वह पीडिता और उसके परिवार से भी नहीं मिला है। इसके अलावा उसे मामले की कोई व्यक्तिगत जानकारी भी नहीं है। पीआईएल सिर्फ प्रकाशित समाचार के आधार पर ही पेश की है और पुलिस मामले में चार्जशीट दायर कर चुकी है। इसलिए मामले में दखल देने की कोई आवश्यकता नहीं है और पीडिता के परिजनों को यदि कोई शिकायत या आपत्ति हो तो वह ट्रायल कोर्ट में अपनी आपत्ति पेश करने को स्वतंत्र हैं।

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