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जयपुर

बिजली बिल बचाने को जयपुर में सौर ऊर्जा से जलापूर्ति की तैयारी

जयपुर में पेयजल व्यवस्था के लिए 3 हजार से ज्यादा टयूबवैल और 20 से ज्यादा बीसलपुर सिस्टम से जुडे पंप हाउस हैं। जलदाय विभाग इनके संचालन पर सालाना आ रहे बिजली के 155 करोड रुपए के भारी भरकम बिल से जलदाय विभाग की सांसे फूूलने लगी है। इस बिल से छुटकारा पाने के लिए जयपुर शहर जलदाय विभाग ने एसएमस मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर सौर उर्जा की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है।

जयपुरSep 24, 2021 / 09:29 am

PUNEET SHARMA

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जयपुर। जयपुर शहर में पेयजल व्यवस्था के लिए 3 हजार से ज्यादा टयूबवैल और 20 से ज्यादा बीसलपुर सिस्टम से जुडे पंप हाउस हैं। सुबह और शाम पेयजल सप्लाई में कोई रूकावट नहीं आए इसलिए टयूबवैल और पंप हाउस चौबीसों घंटे चलते हैं। लेकिन अब जलदाय विभाग इनके संचालन पर सालाना आ रहे बिजली के 155 करोड रुपए के भारी भरकम बिल से जलदाय विभाग की सांसे फूूलने लगी है। इस बिल से छुटकारा पाने के लिए जयपुर शहर जलदाय विभाग ने एसएमस मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर सौर उर्जा की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है। विभाग शहर में ब्रहम्पुरी और लक्ष्मण डूंगरी पंप हाउस पर उच्च विधुत उत्पादन क्षमता के सौलर प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है।

जलदाय विभाग के अफसरों के अनुसार अभी यह स्थिति है कि जो नलकूप पानी दे रहा है वहां तक तो ठीक है। लेकिन सैंकडों नलकूप ऐसे भी हैं जो सूख चूके हैं लेकिन वे भी चौबीसों घंटे चल रहे हैं और हर महीने अनावश्यक रूप से बिजली के बिल का लाखों रुपए का पहाड खडा हो जाता है। विभाग की योजना के अनुसार अभी ब्रहम्पुरी और लक्ष्मण डूंगरी पर ये सौलर प्लांट लगाए जाएंगे। जितनी बिजली का उत्पादन होगा उससे पंप हाउस और नलकूप चलेंगे और अतिरिक्त बिजली बनेगी वह शेष बिल में समायोजित होगी।

मेडिकल कॉलेज बचा रहा है सालाना 70 लाख रुपए
एसएमएस मेडिकल कॉलेज भी कुछ समय पहले बिजली के भारी भरकम बिल से परेशान था। लेकिन यहां 100 किलोवाट क्षमता का सौलर प्लांट स्थापित किया है। अब सालाना 70 लाख रुपए के बिजली के बिल की बचत हो रही है। इस राशि को कॉलेज व एसएमएस अस्पताल में मरीजों को उपचार की सुविधाएं बढाने पर खर्च किया जा रहा है। अतिरिक्त बिजली के उत्पादन से कॉलेज की कमाई भी हो रही है।

जयपुर शहर में बीसलपुर सिस्टम के सेंट्रल व वेस्टर्न फीडर के 10 से ज्यादा पंप हाउस हैं। ये पंप हाउस पेयजल सप्लार्ई के लिए लगातार 7 दिन तक चौबीसों घंटे चलते है। जिससे बिजली का उपभोग भी लाखों यूनिट में होता है। सौलर प्लांट लगने के बाद पंप हाउस पर खर्च होने वाली बिजली का बिल भी कम हो जाएगा।

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