राजस्थान एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपी व ऑक्यूपेशनल थैरेपी के अध्यक्ष डॉ. एस.के. मीणा व सचिव डॉ. भंवर सिंह ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष २००८ में राजस्थान पैरामेडिकल कौंसिल का गठन किया था। इस कौंसिल विल में पहले नंबर पर फिजियोथैरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थैरेपी कोर्सेज का नाम पहले नंबर पर अंकित था। बिल को मार्च २००८ में विधानसभा में पास कर अनुमोदन के लिए तत्कालीन राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। राज्यपाल ने कुछ आपत्तियां लगाकर विल सरकार को भेजा।
दोबारा लाए बिल, 4 साल पहले खामियां दूर डॉ. एस.के. मीणा ने बताया कि उस समय तत्कालीन चिकित्सा मंत्री ने आश्वासन दिया था कि सरकार राजस्थान में पैरामेडिकल कौंसिल विधेयक दोबारा लाएगी। जब विधेयक दोबारा लाया गया तो उसमें से फिजियोथैरेपी एवं आक्यूपेशनल थैरेपी को विलोपित कर दिया गया। इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से राजस्थान में फिजियोथैरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थैरेपी कौंसिल गठन करने के लिए संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) की ओर से कौंसिल बिल-२०१२ बनाया गया, जिसे वर्ष २०१४ में सारी खामियां दूर करने के लिए विधि विभाग में भेजा गया। विधि विभाग की ओर से निकाली गई गलतियों को स्वास्थ्य निदेशक ने दूर किया।
— 8 माह से फाइल रखी डॉ. एस.के. मीणा ने बताया कि वर्ष २०१६ में चिकित्सा मंत्री ने बिल को विधानसभा में रखने का आदेश दिया था। अब ८ माह से कौंसिल संबंधी फाइल स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) के रखी है। फिजियोथैरेपिस्ट कई बार अतिरिक्त निदेशक से मिल चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। उन्होंने बताया कि अब कौंसिल नहीं बनने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।