Play in JKK : जवाहर कला केंद्र में हुआ नाटक ‘मैं बोझ नहीं भविष्य हूं’ का मंचन
बेटे ने डुबोया नाम, शेख चिल्ली की बेटी बनी सहारा
Play in JKK : जवाहर कला केंद्र में हुआ नाटक ‘मैं बोझ नहीं भविष्य हूं’ का मंचन
जयपुर।
जवाहर कला केंद्र (JKK) में आयोजित पांच दिवसीय थिएटर फेस्टिवल ‘नाट्योत्सव (5 day festival natyotsav) के आखिरी दिन यहां रंगायन सभागार में हास्य-व्यंग्य पर आधारित नाटक ‘मैं बोझ नहीं भविष्य हूं का मंचन हुआ। डॉ. हिमांशु द्विवेदी निर्देशित नाटक में बालिकाओं के प्रति हो रहे भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया गया।
नाटक की अनोखी भाषा और शैली ने थिएटरप्रेमियों को आकर्षित किया। बुंदेली लोकनाट्य स्वांग शैली पर आधारित नाटक में बुंदेलखंड के पारंपरिक गीत एवं नृत्यों को भी शामिल किया गया। नाटक का कथानक मुख्य किरदार शेख चिल्ली के इर्द-गिर्द गढ़ा गया। इसमें बताया गया कि शेख चिल्ली खेतों में अपनी भैंस चराने जाता है, जहां पर गांव के दो युवक उसे अपने साथ भैंस चराने के लिए मना करते हैं।
वे कहते हैं कि हम लोग शादी-शुदा हैं अत: पहले तुम भी अपनी शादी करवाओ फिर हमारे साथ भैंस चराना। शेख चिल्ली की शादी होती है और फिर कुछ समय बाद उसके एक-एक करके तीन लड़कियां होती हैं, जिसकी वजह से गांव के सभी लोग उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। परेशान होकर वह दो लड़कियों को गर्भ में ही मरवा देता है और बड़ी लडकी को नाना के यहां भेज देता है। कुछ समय बाद शेख चिल्ली के घर में एक लड़के का जन्म होता है, जिससे घर में खुशी का माहौल हो जाता है। वह अपनी सारी संपत्ति उस लड़के के नाम कर देता है।
जैसे-जैसे लड़का बड़ा होता है वह बिगड़ता जाता है नशा करने लगता है और परीक्षा में फेल हो जाता है। जबकि उसकी लड़की जिले में टॉप करती है। एक दिन लड़का जुएं में सब कुछ हार जाता है और वह शेख चिल्ली से पैसे मांगता है, पैसे नहीं देने की स्थिति में वह शेख चिल्ली और उसकी पत्नी को पीटता है और उन्हें घर से बाहर निकाल देता है। जबकि दूसरी तरफ उसकी लड़की कलेक्टर बन जाती है और अपने माता-पिता को सहारा देती है। इसमें हिमांशु द्विवेदी, पूनम राणा, रमन रावत, रिशु गंगवार, संदीप इंदौरिया, संतोष माहौर, नरेंद्र सिंह, अमितेश शर्मा, संतोष माहौर, निशांत कुमार आर्य, प्रफुल्ल दास, अभिषेक मनडोरिया आदि कलाकारों ने अभिनय किया।
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