पर प्रेम से तो अछूते
कोई भी नहीं है ,
पशु पक्षी जड़ चेतन में प्रेम
देखा जा सकता है।
प्रेम एक मन का भाव है।
उसे महसूस किया जा सकता है।
मीरां तो मूर्ति पर ही रीझ गई थी,
और मूर्ति तो हम जैसे इन्सान ने,
ही बनाई थी,
पर उसने अपने,
अंतर्मन में गिरधर की,
स्थापना कर ली थी,
ये प्रेम की पराकाष्ठा है।
कोई भी नहीं है ,
पशु पक्षी जड़ चेतन में प्रेम
देखा जा सकता है।
प्रेम एक मन का भाव है।
उसे महसूस किया जा सकता है।
मीरां तो मूर्ति पर ही रीझ गई थी,
और मूर्ति तो हम जैसे इन्सान ने,
ही बनाई थी,
पर उसने अपने,
अंतर्मन में गिरधर की,
स्थापना कर ली थी,
ये प्रेम की पराकाष्ठा है।
जुडि़ए पत्रिका के ‘परिवार’ फेसबुक ग्रुप से। यहां न केवल आपकी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि यहां फैमिली से जुड़ी कई गतिविधियांं भी देखने-सुनने को मिलेंगी। यहां अपनी रचनाएं (कहानी, कविता, लघुकथा, बोधकथा, प्रेरक प्रसंग, व्यंग्य, ब्लॉग आदि भी) शेयर कर सकेंगे। इनमें चयनित पठनीय सामग्री को अखबार में प्रकाशित किया जाएगा। तो अभी जॉइन करें ‘परिवार’ का फेसबुक ग्रुप। join और Create Post में जाकर अपनी रचनाएं और सुझाव भेजें। patrika.com