शायद भूल गए हो तुम, अस्सी हजार आए थे
और भारत के दस हजार बस, तुमसे टकराए थे
बिन साधन हम झेले थे उन, दर्द भरी रातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
और भारत के दस हजार बस, तुमसे टकराए थे
बिन साधन हम झेले थे उन, दर्द भरी रातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
नूरारंग में तो थे केवल, बाबा जसवंत अकेले
तुम केवल दर्शक थे और वो, खेल भयानक खेले
भूल गए वो काले दिन और, तीन तल्ख रातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को बॉर्डर रिजांग ला पर आकर, पत्थर से अडे मेजर शैतान
बस एक सौ चौदह के आगे, दो हजार चीनी हैरान
मंगोलों दोहरालो फिर से, उन बीती बातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
तुम केवल दर्शक थे और वो, खेल भयानक खेले
भूल गए वो काले दिन और, तीन तल्ख रातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को बॉर्डर रिजांग ला पर आकर, पत्थर से अडे मेजर शैतान
बस एक सौ चौदह के आगे, दो हजार चीनी हैरान
मंगोलों दोहरालो फिर से, उन बीती बातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
कहने को जीते थे तुम, लेकिन वो जीत नहीं थी
धोखा और मक्कारी, इस धरती की रीत नहीं थी
बाज आजाओ अब झेल नहीं, पाओगे इन हाथों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
धोखा और मक्कारी, इस धरती की रीत नहीं थी
बाज आजाओ अब झेल नहीं, पाओगे इन हाथों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
छुई मुई से कुछ पौधों को, रौंदा और तुम इतराए
लेकिन अब तक भारत का, गौरव तुम समझ न पाए
अब टकराए नष्ट करेंगे, पाप भरे खातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
लेकिन अब तक भारत का, गौरव तुम समझ न पाए
अब टकराए नष्ट करेंगे, पाप भरे खातों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को
मत छेड़ो हमको हम शांत, शास्त्र धर्म अनुयाई
रंग समर भूमि का बदला, जब हमने तलवार उठाई
एकपल सोचो कैसे सहेजना, है खट्टे दांतों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को कवि रेल सुरक्षा विशेष बल में इंस्पेक्टर हैं
रंग समर भूमि का बदला, जब हमने तलवार उठाई
एकपल सोचो कैसे सहेजना, है खट्टे दांतों को
तुमने फिर से छेड़ दिया, उन सोए जज्बातों को कवि रेल सुरक्षा विशेष बल में इंस्पेक्टर हैं