अस्पताल में युवक ने अपनी पीठ, पैर तथा कूल्हे पर मारपीट से हुए निशान भी बताए हैं। युवक का कहना है कि पुलिस ने बगैर किसी कार्रवाई के उसे एक रात तथा एक दिन थाने में रखने के बाद छोड़ा। जैसे-तैसे घर लौटने के बाद स्थानीय चिकित्सक से इलाज कराया, लेकिन उससे राहत नहीं मिली तो परिजन शनिवार दोपहर उसे बांसवाड़ा लाए। वहीं, आंबापुरा थाना पुलिस ने इस मारपीट से इनकार किया है।
यह सुनाई आपबीती विश्राम पुत्र रामा डिण्डोर ने बताया कि गांव में उसकी किराने की दुकान है। 21 तारीख की रात करीब 12 बजे आंबापुरा थाने से कुछ पुलिस कार्मिक उसके घर पहुंचे। पुलिसकर्मियों ने लात देकर उसके घर का दरवाजा खोला और खाट से नीचे पटक दिया। इसके बाद दो पुलिसकर्मी उसे पकड़कर बाहर लेकर आए और वहां लट्ठ से मारपीट करना शुरू कर दिया। वह चिल्लाया तो परिजन बचाने के लिए आए, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें भी डरा-धमकाकर भीतर भेज दिया। इसके बाद पुलिस कार्मिक उसे थाने लेकर आ गए।
पहले घर उपचार लिया, फिर यहां आया
विश्राम ने आरोप लगाया कि पुलिस कार्मिकों ने उसे रातभर वहीं थाने पर रखा। इस दरम्यान उसने कारण पूछा तो पुलिसकर्मियों ने एक बार भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बाद पुलिस ने उसे दिनभर वहीं थाने पर रखा, और २२ की रात करीब १२ बजे उसे थाने से छोड़ा तो वह जैसे-तैसे घर पहुंचा। २३ तारीख को दिनभर घर रहने के साथ ही उसने स्थानीय चिकित्सक से भी उपचार लिया। उससे हालत नहीं सुधरने पर शनिवार को बांसवाड़ा आया।
इधर, प्रकरण को लेकर थाना प्रभारी नागेन्द्रसिंह ने बताया कि इस तरह के मामले की सूचना नहीं है। उन्होंने थाने के किसी पुलिसकर्मी द्वारा मारपीट से स्पष्ट इनकार किया।