मंत्री के गृह जिले जैसलमेर के मदरसों के इन हालातों ने ‘दिया तले अंधेरा’ की कहावत को चरितार्थ कर दिया है। मदरसा बोर्ड और पाठ्यपुस्तक मंडल से प्राप्त जानकारी के अनुसार जैसलमेर से मदरसों में 25,139 किताबों की डिमांड की गई। जबकि वितरण संख्या चार माह बाद भी शून्य है।
इधर, अधिकारी आए हरकत में
मदरसों में किताबों के वितरण में हो रही लापरवाही को लेकर पत्रिका में 30 जुलाई 2022 को ’13 जिलों के मदरसों में नहीं पहुंची किताबें’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के बाद राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल और मदरसा बोर्ड दोनों हरकत में आए हैं और किताबों के वितरण में तेजी आई है। हालांकि अब भी लगभग सभी मदरसों में उर्दू की किताबों की किल्लत बनी हुई है।
मदरसों में किताबों के वितरण में हो रही लापरवाही को लेकर पत्रिका में 30 जुलाई 2022 को ’13 जिलों के मदरसों में नहीं पहुंची किताबें’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के बाद राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल और मदरसा बोर्ड दोनों हरकत में आए हैं और किताबों के वितरण में तेजी आई है। हालांकि अब भी लगभग सभी मदरसों में उर्दू की किताबों की किल्लत बनी हुई है।
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि मदरसों के अलावा सरकारी स्कूलों भी उर्दू की किताबों का टोटा बना हुआ है। डूंगरपुर के राजकीय महरावल उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि 12 उर्दू की किताब अब तक नहीं आई है। पिछले साल भी इस स्कूल के विद्यार्थियों को उर्दू की किताब से महरूम रहना पड़ा था। गौरतलब है कि पत्रिका की इस खबर पर राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग भी संज्ञान ले चुका है।
ये बोले जिम्मेदार… डिमांड समय पर नहीं मिलने के कारण किताब वितरण में देरी हुई। प्रदेशभर के मदरसों में करीब 50 प्रतिशत किताबें बंट चुकी हैं। बाकी किताबें भी जल्द भेजी जा रही हैं। उर्दू की किताबें भी दो से तीन दिनों में उपलब्ध करा दी जाएंगी।
विनोद पुरोहित
सचिवए पाठ्यपुस्तक पुस्तक मंडल ————— यह खबर भी पढ़ें… राजस्थान में मदरसा तालीम चरमराई: हजारों बच्चे किताबों के इन्तेजार में, प्रदेश के 13 जिलों के हालात बदतर यह खबर भी पढ़ें… पत्रिका की खबर पर अल्पसंख्यक आयोग ने लिया संज्ञान, अल्पसंख्यक मामलात और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से किए ये सवाल…
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