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जयपुर

एक माह तक सुनवाई को टालना ‘अन्यायपूर्ण’: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली हिंसा: हाईकोर्ट को शुक्रवार को सुनवाई करने का निर्देश
 

जयपुरMar 05, 2020 / 01:57 am

Vijayendra

Supreme Court

पीस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह 6 मार्च को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई करे। शीर्ष कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट द्वारा मामले को एक माह के लिए टालना ‘अन्यायपूर्ण’ था।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे, न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वह मामले का शीघ्र निपटारा करे। सर्वोच्च अदालत ने विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने का निर्देश भी दिया। उल्लेखनीय है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भडक़ी हिंसा में 47 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 200 लोग घायल हैं।
सीजेआइ एसए बोबडे ने कहा-हमें लगता है कि इतने लंबे समय तक स्थगन (दिल्ली हाईकोर्ट में) अनुचित है। हालांकि उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहते। इस विषय से जुड़े अन्य मामले जिनमें अलख तारीख दे दी गईं, उन्हें भी साथ लिया जा सकता था।

सरकार ने कहा-7000 वीडियो मिले

सीजेआइ की बेंच के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थिति अनुकूल नहीं है। हमें 7000 वीडियो मिले हैं। हम स्थिति अनुकूल होने का इंतजार कर रहे हैं। इस पर सीजेआइ बोबडे ने कहा कि हम नहीं मानते कि अदालत के आदेशों से हिंसा पर अंकुश लगाया जा सकता है।

मुंबई दंगों का हवाला दिया
सीजेआइ बोबडे मुंबई दंगों का हवाला देते हुए कहा कि हमें दंगों का कुछ अनुभव भी है। कभी-कभी जब आप नेताओं को पकड़ते हैं और उन्हें जेल में डालते हैं तो दंगे भडक़ उठते हैं।

हाईकोर्ट ने 13 अप्रेल तक स्थगित की थी सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 फरवरी को भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, परवेश साहिब सिंह और कपिल मिश्रा तथा अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने सुनवाई 13 अप्रेल तक के लिए टाल दी थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन्हीं के बयानों के चलते हिंसा भडक़ी।
369 एफआइआर दर्ज, 33 गिरफ्तार
उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में दंगे भडकऩे के बाद अब तक 369 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा में 79 घर ध्वस्त हुए हैं और 327 दुकानों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया था।
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भडक़ाऊ भाषण पर खुद घिरे हर्ष मंदर
सीजेआइ ने कहा- आरोप बेहद गंभीर, उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं

नई दिल्ली
भाजपा के तीन नेताओं (परवेश, अनुराग, कपिल) के खिलाफ भडक़ाऊ भाषण को लेकर एफआइआर की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की खुद ही घिर गए हैं। हर्ष मंदर का विवादित विडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने उनसे सफाई मांगी है।
भाजपा नेताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर के हेट स्पीच का मुद्दा उठाया। सीजेआइ बोबडे ने भाषण का ट्रांसक्रिप्ट पढऩे के बाद मंदर से पूछा कि आपने ये भाषण कब और कहां दिया था? आप कोर्ट को लेकर इस तरह की भावनाएं रखते हैं? हम आपको नोटिस जारी करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने फिलहाल उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 3 दिनों से दिल्ली में कोई दंगा नहीं हुआ है। इस पर कोर्ट ने पूछा तो क्या आप आज (बुधवार को) एफआइआर दर्ज करेंगे? तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में मामला लंबित है, सुप्रीम कोर्ट को इसपर सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
क्या कहा है हर्ष मंदर ने?
भाजपा के आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को एक विडियो ट्वीट किया जिसमें हर्ष मंदर कहते दिख रहे हैं कि अब फैसला संसद या सुप्रीम कोर्ट में नहीं, सडक़ों पर होगा। मंदर ने कहते हैं कि शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में इंसानियत और सेक्युलरिज्म की रक्षा नहीं की। इसलिए लोग अब सडक़ों पर अपने भविष्य का फैसला करेंगे।

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