आदेश के मुताबिक संपत्ति के 31 दिसंबर, 2018 तक के दस्तावेज मान्य होंगे। यदि इस समयावधि में निर्माण स्वीकृति जारी हुई तो उसे भी पट्टे का आधार बनाया जाएगा। यदि सम्पत्तिधारकों ने आपसी सहमति से उपविभाजन कर रखा है तो उसे मान्यता प्रदान करते हुए मौकेा स्थिति के अनुसार पट्टा जारी किया जा सकेगा। ऐसे मामलों में उपविभान व पुनर्गठन शुल्क नहीं लगेगा।
मूल दस्तावेजों में जो भू—उपयोग, उसी के अनुरूप पट्टा यूडीएच एलएसजी ने पुरानी आबादी क्षेत्र में नियमन के संबंध में यह भी आदेश दिया है कि आवेदक के मूल दस्तावेजों में जो भू-उपयोग दर्ज है, उसी के अनुरूप पट्टा जारी किया जाएगा। यदि आवेदक ने दस्तावेजों से भिन्न उपयोग का पट्टा मांगा है और वह उपयोग मास्टर व जोनल प्लान के अनुरूप है तो आवेदक से लैंड यूज़ चार्ज लेकर नया फ्री होल्ड पट्टा दिया जा सकेगा।
प्रतिबंधित क्षेत्र में कच्ची बस्ती का नहीं होगा नियमन राज्य सरकार ने कच्ची बस्तियों के नियमन के मामले में भी निकायों को स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके तहत ऐसी चिन्हित कच्ची बस्तियां जो सुविधा क्षेत्र, पार्क, खेल मैदान, रास्ता, खुली भूमि, सार्वजनिक भूमि, वन भूमि, नदी, नाले, तालाब व प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित हैं, उन कच्ची बस्तियों में पट्टे नहीं दिए जाएंगे। 15 अगस्त 2009 तक जो परिवार इन बस्तियों में बसे हैं, उन्हें ही कच्ची बस्ती नियमन नीति 2005 के तहत पट्टे दिए जाएंगे।