इस बार अभियान में इन शेष रह गए छह लाख लोगों को पट्टे मिलेंगे। सरकार को इनके लिए ज्यादा माथापच्ची भी नहीं करनी पड़ेगी। अकेले जयपुर में एक लाख से ज्यादा भूखंड हैं, जिनका ले-आउट प्लान स्वीकृत है। इसके अलावा भी सरकार ने मंदिर माफी, पूर्व राजपरिवार के स्वामित्व, सरकारी जमीन और अवैध तरीके से बसी कॉलोनी को भी पट्टा दिया जाएगा।
पुरानी बसावट पर भी फोकस ज्यादातर शहरों में पुरानी आबादी को आज भी पट्टों का इंतजार है। इस आबादी को पट्टा देने के लिए ही नगरपालिका एक्ट में नई धारा 69ए को जोड़ा गया था। मगर उस समय की भाजपा सरकार अनुमान के मुताबिक पट्टे नहीं दे पाई। मगर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने इस धारा को जादुई बताया है और इसके दम पर ही पट्टों की बारिश करने की तैयारी है। एक अनुमान के मु ताबिक पुरानी बसावट में 20 लाख से ज्यादा मकानों को पट्टों का इंतजार है।
जेडीए से ट्रांसफर हो कर आई कॉलोनियों के 50 हजार पट्टे जयपुर नगर निगम की बात की जाए तो पूर्ववर्ती सरकार के समय दर्जनों कॉलोनियां को जेडीए से नगर निगम में ट्रांसफर किया गया था। मगर बरसों से इन कॉलोनियों के 50 हजार से ज्यादा लोगों को पट्टों का इंतजार है। नगर निगम की कार्य प्रणाली पेचिदा होने की वजह से इन लोगों को पट्टे नहीं मिल पाए। मगर अभियान में इन लोगों को पट्टे मिलने की उम्मीद बंधी है।