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PATRIKA IMPACT: आदिवासियों के बीमा क्लेम मामले में गैंग ने न्यायालय में भी पेश किए झूठे दस्तावेज, आईओ और बीमा एजेन्ट ने उड़ाया मौत का मजाक

उदयपुर . मौत का ऐसा मजाक बनाया कि एक प्रकरण में तो उन्होंने कोर्ट तक को गुमराह करते हुए फर्जी दस्तावेज पेश कर दिए।

उदयपुरApr 11, 2018 / 01:10 pm

madhulika singh

bima fraud
उदयपुर . आदिवासियों के बीमा क्लेम के नाम पर फर्जीवाड़े में जुटी गैंग ने धन के लिए उनकी मौत का ऐसा मजाक बनाया कि एक प्रकरण में तो उन्होंने कोर्ट तक को गुमराह करते हुए फर्जी दस्तावेज पेश कर दिए। हरकू गमेती बनाम एडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी प्रकरण में न्यायालय ने साक्ष्य व जांच के बाद स्पष्ट लिखा कि प्रकरण में सीधे -सीधे तौर पर बीमा कंपनी के एजेन्ट व थाने के अनुसंधान अधिकारी के शामिल होने का अंदेशा है। आरोपितों ने न केवल महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया, बल्कि न्यायालय में भी मिथ्या दस्तावेज पेश किए।

साक्ष्य व दस्तावेजों के अनुसार हरकू के बीमित पति जीवा गमेती की मौत किसी गंभीर बीमारी से हुई है। आरोपितों ने उसकी मृत्यु को दुर्घटना बताकर बीमा क्लेम उठाने का प्रयास किया या पीडि़ता किसी सुनियोजित षड्य़ंत्र की शिकार हुई है। पुलिस थाना नाई ने प्रकरण में गहनतापूर्वक अनुसंधान के बजाय महज खानापूर्ति की।
साक्ष्यों में स्पष्ट हुआ कि बीमा पॉलिसी के प्रभावी होने की तिथि के चार दिन पूर्व ही जीवा की मौत हो गई। आरोपितों ने मृतक की आर्थिक हैसियत व आय के साधन से कई गुना अधिक राशि से संबंधित बीमा पॉलिसी के प्रीमियम के रूप में एक साथ प्राप्त की। जानबूझकर अन्य पॉलिसी के तथ्यों को छिपाकर अलग-अलग कंपनियों से बीमा पॉलिसी
प्राप्त किया गया जो सुनियोजित षड्य़ंत्र के परिणाम के रूप में सामने आया है।
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डिस्ट्रीब्यूटर व पार्टनर तक बता दिया
आय के एक प्रमाण पत्र में एक फर्म को डिस्ट्रीब्यूटर बताया। तीन साल से वहां सेल्समैन बताकर 15 हजार रुपए तनख्वाह बताई गई। भागीदारी विलेख में जीवा को फर्म में 80 प्रतिशत का भागीदार होना दर्शाया गया। इसके लिए बकायदा मृतक के खाते में 27 जून 2014 को 12 लाख जमा करवाकर 1 जुलाई को पुन: विड्रो बताया गया।
हकीकत- पूरा परिवार मजदूर पेशा होकर गरीब है।

पोस्टमार्टम पर संदेह
4 जुलाई 2014 की कोर्ट में एफआईआर पेश की। मृतक की पेड़ से गिरने से मौत का उल्लेख किया। मृतक की लाश घटनास्थल से पत्नी हरकू व भतीजे दुर्गाशंकर द्वारा ले जाना बताया। पुलिस रिपोर्ट में 6 घंटे के बाद घटनास्थल पर ही पोस्टमार्टम करने के तथ्य उल्लेख किया है।
कम्पनी ने ही लौटा दिया प्रीमियम

नाम- नयागुड़ा बुझड़ा (नाई) हरकू पत्नी जीवा गमेती
बनाम- एडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी सहेली मार्ग व मुंबई स्थित मुख्य कार्यालय
पॉलिसी बताई – हरकू के पति जीवा गमेती की 5-5 लाख की पॉलिसी बताई
प्रीमियम- करीब एक लाख रुपए
शक का आधार- 1 जुलाई को पॉलिसी व 4 जुलाई की बताई मौत
लौटाया प्रीमियम – कंपनी ने परिवादिया के खाते में वापस किया प्रीमियम
पहुंचे न्यायालय – आरोपित फर्जी दस्तावेज पेश कर पहुंचे थे स्थायी लोक अदालत

मजदूर को बता दिया विक्रेता

जीवा गमेती ने 19 जून 2014 को आयकर विवरणी (आईटीआर) पेश की
आय स्रोत बताया सब्जी एवं जनरल गुड्स विक्रेता
वित्तीय वर्ष 2012-13 में वार्षिक आय 199688 बताई
20.6.2015 को वित्तीय वर्ष 2013-14 की आईटीआर पेश की
मृतक की आय 680250 रुपए दर्शाई
सरकार को आयकर भरा-72950 रुपए
इस आयकर में पॉलिसियों का कोई उल्लेख नहीं
खाते में आए-गए लाखों

जीवा गमेती की मौत-4 जुलाई 2017 को हुई
खाते से 8 जुलाई,13 जुलाई व 16 जुलाई 2014 को एटीएम निकाले 1.80 लाख
मृत्यु के दिन भी जीवा के कार्ड का उपयोग कर दो बार राशि विड्रो हुई
न्यायालय ने लिखा- सुबह 9 बजे ही पेड़ से गिरने से जीवा की मृत्यु बताई गई। उसकी पत्नी अशिक्षित है जो मृत्यु के ही दिन व उसके बाद अपने गांव से 20 किमी. दूर उदयपुर शहर में जाकर एटीएम कार्ड का उपयोग करे, यह तथ्य सामान्य बुद्धि को स्वीकार्य नहीं है
कंपनी ने देखते ही कर दिया था दावा खारिज
बीमा कंपनी ने कहा कि बीमित ने आवेदन में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया
अन्य कंपनियों से भी दो पॉलिसियां ली, जिसे छिपाया
मृत्यु से पूर्व 15 दिन में करीब 48 लाख की पॉलिसी अलग-अलग बीमा कंपनी से ली।
वास्तविकता का ज्ञान होने पर दोनों पॉलिसियां रद्द कर प्रीमियम लौटाया।
आवेदन के साथ गैंग के रमेश चौधरी एवं सुरेश बसरे ने शपथ पत्र प्रस्तुत किए।

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