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जयपुर

अजब गजब फरमान : पुलिस पदक चाहिए तो पहले प्रमाण दें कि ‘मैं पागल नहीं हूं’

केंद्र सरकार के अजीबोगरीब फरमान से पुलिसकर्मी परेशान, उपलब्धियों के साथ शारीरिक और दिमागी हालत सही होने का प्रमाण पत्र भी अनिवार्य

जयपुरNov 21, 2019 / 09:41 pm

pushpendra shekhawat

अजब गजब फरमान : पुलिस पदक चाहिए तो पहले प्रमाण दें कि 'मैं पागल नहीं हूं'

अजब गजब फरमान : पुलिस पदक चाहिए तो पहले प्रमाण दें कि ‘मैं पागल नहीं हूं’

मुकेश शर्मा / जयपुर। जांबाज पुलिसकर्मी सेवा के 16 से 35 साल पूरे करने के बाद पुलिस पदक और राष्ट्रपति पुलिस पदक के हकदार हैं, लेकिन उन्हें आवेदन के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ दिमागी हालत सही होने का भी प्रमाण पत्र देना होगा। केन्द्र सरकार हर वर्ष जनवरी में देशभर के राज्यों से चयनित होने वाले पुलिसकर्मियों के नामों की इस पुरस्कार के लिए घोषणा करती है।
राजस्थान पुलिस विभाग को भी हर वर्ष 16 पुलिस पदक और 2 राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा जाता है। केंद्र सरकार ने दो साल से पदक की दावेदारी के लिए दिमागी हालत सही होने का भी प्रमाण पत्र भी अनिवार्य कर दिया है। 16 वर्ष की सेवा के बाद पुलिस पदक और पुलिस पदक मिलने वाले छह साल बाद राष्ट्रपति पुलिस पदक की दावेदारी कर सकते हैं।
दावा 200 का, मिलता 18 को
प्रदेशभर में इस पदक के लिए हर वर्ष करीब 150 से 200 पुलिस वाले दावेदारी करते हैं। पुलिस वाले अपनी विंग के मुखिया के जरिए पुलिस मुख्यालय में प्रस्ताव भिजवाते हैं। फिर डीजीपी के नेतृत्व में पुलिस की राज्य स्तरीय कमेटी चयन करती है। बाद में चयन हुए नाम राज्य गृह विभाग के भेजे जाते हैं। यहां चयन कमेटी पूरी तस्दीक के बाद पदक के योग्य समझे जाने वालों के नाम केन्द्रीय गृह विभाग को भेजती है। केन्द्रीय गृह विभाग की इंटेलिजेंस के जरिए पड़ताल करती है कि पदक पाने वाले उसके हकदार हैं या नहीं। इसके बाद चयनित होने वालों को पदक दिया जाता है।
व्हील चेयर पर लेने पहुंचा, तो किया जरूरी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, करीब तीन साल पहले एक राज्य के पुलिसकर्मी का पदक के लिए चयन हुआ। लेकिन बाद में उसे लकवे का अटैक आ गया। वह व्हील चेयर पर पुरस्कार लेने पहुंचा। इसके बाद से पदक लेने वालों के लिए शारीरिक और मानसिक प्रमाण पत्र जरूरी कर दिया गया।

कहते हुए शर्म आती है

इस पदक के लिए दावेदारी करने वाले पुलिसर्किर्मयों ने कहा, शर्म आती है, इतने वर्ष सेवा का परिणाम है कि मनोचिकित्सालय का प्रमाण पत्र लेना पड़ रहा है। मनोचिकित्सालय और सवाईमानसिंह चिकित्सालय में सभी जांच करवाने के लिए करीब 1500 रुपए का खर्च आता है।

दोनों पदक के लिए भारत सरकार ही सभी दिशा निर्देश जारी करती है। अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली आगामी बैठक में मनोचिकित्सक प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पर चर्चा की जाएगी।
-भूपेन्द्र सिंह, डीजीपी राजस्थान
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