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जयपुर

हेपेटाइटिस-ए का संक्रमण टीके से रोकते, सी का एंटीवायरल थैरेपी से इलाज संभव

जयपुर। हेपेटाइटिस का इलाज इस पर निर्भर करता है कि संक्रमण कितना पुराना और फैलाव कितना है। इसे एक्यूट और क्रोनिक हेपेटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस ए- में इलाज नहीं होता है। ज्यादा दिक्कत होने पर बेड रेस्ट और उल्टी या दस्त की शिकायत पर विशेष डाइट लेना जरूरी होता है। टीकाकरण से भी हेपेटाइटिस -ए के संक्रमण को रोक सकते हैं। बड़ों के लिए भी टीकाकरण की सुविधा अस्पतालों में उपलब्ध है। हेपेटाइटिस बी का कोई निश्चित उपचार नहीं है, पर रोकथाम की जा सकती है। इससे लडऩे का हथियार सिर्फ टीका है। टीकाकरण से बचा जा सकता है। ये एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है। लोगों में भ्रांतियां हैं कि ये एड्स की भांति लाइलाज बीमारी है जबकि ये सही नहीं है। क्रोनिक हेपेटाइटिस सी के रोगी का इलाज एंटीवायरल थैरेपी व नई दवाओं से संभव है। इसे रोकने के लिए अभी कोई टीका नहीं है।हेपेटाइटिस डी का इलाज अल्फा इंटरफेरॉन के साथ किया जाता है, कोई और इलाज नहीं है। हेपेटाइटिस ई का भी इलाज नहीं है। यह समय के साथ ठीक हो जाता है। एक बार शरीर में कीटाणु प्रवेश कर जाएं तो बाहर निकालना मुश्किल है। इसका उपाय टीका लगवाना है। अधिकांश मरीज अस्पताल एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं, जब लिवर पूरी तरह से डैमेज हो चुका होता है, तब उसका इलाज कठिन होता है।

जयपुरAug 03, 2018 / 09:35 pm

Jitendra Rangey

हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस

पेटाइटिस का इलाज संक्रमण और फैलाव पर निर्भ

पेटाइटिस का इलाज इस पर निर्भर करता है कि संक्रमण कितना पुराना और फैलाव कितना है। इसे एक्यूट और क्रोनिक हेपेटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस ए- में इलाज नहीं होता है। ज्यादा दिक्कत होने पर बेड रेस्ट और उल्टी या दस्त की शिकायत पर विशेष डाइट लेना जरूरी होता है। टीकाकरण से भी हेपेटाइटिस -ए के संक्रमण को रोक सकते हैं। बड़ों के लिए भी टीकाकरण की सुविधा अस्पतालों में उपलब्ध है। हेपेटाइटिस बी का कोई निश्चित उपचार नहीं है, पर रोकथाम की जा सकती है। इससे लडऩे का हथियार सिर्फ टीका है। टीकाकरण से बचा जा सकता है। ये एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है। लोगों में भ्रांतियां हंै कि ये एड्स की भांति लाइलाज बीमारी है जबकि ये सही नहीं है। क्रोनिक हेपेटाइटिस सी के रोगी का इलाज एंटीवायरल थैरेपी व नई दवाओं से संभव है। इसे रोकने के लिए अभी कोई टीका नहीं है।
हेपेटाइटिस डी का इलाज अल्फा इंटरफेरॉन के साथ किया जाता है, कोई और इलाज नहीं है। हेपेटाइटिस ई का भी इलाज नहीं है। यह समय के साथ ठीक हो जाता है। एक बार शरीर में कीटाणु प्रवेश कर जाएं तो बाहर निकालना मुश्किल है। इसका उपाय टीका लगवाना है। अधिकांश मरीज अस्पताल एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं, जब लिवर पूरी तरह से डैमेज हो चुका होता है, तब उसका इलाज कठिन होता है।
सवाल व जवाब
हेपेटाइटिस क्या है? क्यों होता है?
हेपेटाइटिस लिवर में एक प्रकार की सूजन है। लिवर में जलन व संक्रमण होता है। ये पांच तरह के वायरस से होता है। हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्ति को लिवर फाइब्रोसिस या लिवर कैंसर व लिवर सिरोसिस भी हो जाता है। अल्कोहल लेने, ऑटोइम्यून डिजीज व कुछ दवाओं के कारण भी बीमारी होती है।
हेपेटाइटिस कितने तरह का होता है?
हेपेटाइटिस-ए दूषित खाने और पानी से होता है।
हेपेटाइटिस-बी संक्रमित व्यक्ति के ब्लड के ट्रांसफ्यूशन से होता है।
हेपेटाइटिस-सी ब्लड और संक्रमित सीरिंज के प्रयोग से होता है।
हेपेटाइटिस-डी जो पहले से एचबीवी वायरस से संक्रमित चपेट में आते हैं।
हेपेटाइटिस-ई विषाक्त पानी और खाने के कारण ज्यादा होता है, दुनिया के ज्यादातर देशों में संक्रमित हैं।
इसके लक्षण क्या हैं?
पीलिया, त्वचा और आंखों का पीला पडऩा, मूत्र का रंग गहरा होना, अत्यधिक थकान, मतली, उल्टी, पेट दर्द, सूजन, भूख कम लगना, वजन घटना प्रमुख लक्षण हैं।
हेपेटाइटिस में कौन जांचें जरूरी हैं?
ब्लड, लिवर, यूरिन, अल्ट्रासाउंड की जांच से पता करते हैं।

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