दरअसल, गुलाम नबी आजाद के फेयरवेल के दौरान सदन में प्रधानमंत्री के भावुक होने पर पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने तीखी टिप्पणियां की। डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री को भावुक होना ही था तो किसानों के आन्दोलन को लेकर होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर है, यह बात अब साफ हो चुकी है। डोटासरा ने कहा है कि नौटंकी करने में भाजपा के नेता माहिर हैं और उनमें भी नम्बर वन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी जब उनसे गले मिलने लगे थे तब भी उनका यही रुप सामने आया था और नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के दौरान भी प्रधानमंत्री का यही चरित्र सामने आया।
किसान आंदोलन पर भी मोदी को घेरा
उधर किसान आन्दोलन को लेकर भी डोटासरा ने प्रधानमंत्री पर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब पहली बार लोकसभा गए थे तो उन्होंने लोकसभा की दहलीज को चूमा था लेकिन अब उसी लोकसभा में वे भारत की आत्मा किसानों के बारे में दो बात करने को भी तैयार नहीं है। डोटासरा ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री अपने कार्यों से कांग्रेस में बिखराव दिखाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाएंगे।