वहीं सरकार की ओर से सीएए एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ सत्ता पक्ष की ओर से लाए गए प्रस्ताव का विपक्ष ने जमकर विरोध किया। कांग्रेस की ओर से लाए गए संकल्प में लिखा है कि सीएए संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। देश के एक बड़े वर्ग में आशंका है कि एनपीआर और एनआरसी की प्रस्तावना एक ही है।
एनपीआर के नए प्रावधानों को वापस लेने के बाद ही जनगणना के काम हो। नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से हाल में किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों में विभेद करते हैं। यह व्यक्तियों के एक वर्ग को भारत की नागरिकता से वंचित करने के लिए बनाए गए हैं।
इसके अलावा देश में रह रहे सभी लोगों से चाही जाने वाली प्रस्तावित अतिरिक्त सूचना से बड़े पैमाने पर जनसंख्या को बड़ी असुविधा होने की संभावना है। इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा। आसाम राज्य इसका जीवंत उदाहरण है। इसलिए केंद्र सरकार सीएए के संशोधन वापस लेने के साथ लोगों के मन में उपजी ऐसी आशंकाओं को भी दूर करें जो एनपीआर में अपडेट के लिए चाही गई हैं।
आजादी के बाद देश के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा कानून लाया गया है जो धर्म के आधार पर लोगों में विभेद करता है। गौरतलब है कि कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश के बाद सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा रहा है।
हालांकि कांग्रेस शासित केरल और पंजाब में केवल सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया जबकि राजस्थान में सीएए-एनआरसी औरएनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है।