यह जानकारी एसएमएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.के.के.शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि उम्र के साथ प्रोस्टेट की वृद्धि की दो मुख्य अवधियां होती हैं। पहली अवधि तरुणावस्था में होती है, जब प्रोस्टेट आकार में दोगुनी हो जाती है। दूसरी वृद्धि 25 वर्ष की आयु में शुरू होती है और पुरुष के पूरे जीवनकाल में चलती है। बिनाईन प्रोस्टेटिक हाईपरप्लासिया (बीपीएच) अक्सर वृद्धि के दूसरे चरण में होता है। बीपीएच वाले मरीज आमतौर पर रात में बार-बार यूरिन की समस्या, यूरिन करने में परेशानी, यूरिन न कर पाने की शिकायत करते हैं। प्रोस्टेट के बढऩे से श्लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट्य के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इन लक्षणों के कारण मरीज पानी एवं अन्य तरल लेना कम कर देता है और उसका ध्यान लगातार यूरिन पर केंद्रित रहता है।
एसएमएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.के.के.शर्मा ने बताया कि पीडि़त लोग खुद कुछ नहीं बताते, लेकिन उनके व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वो बहुत ज्यादा दूर नहीं जाते और सदैव बाथरुम के आसपास रहते हैं। लैब टेस्ट में पीएसए (प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन) शामिल हैं। पीएसए एक प्रोटीन है, जो केवल प्रोस्टेट से बनता है। जब प्रोस्टेट स्वस्थ्य होता है, तब खून में बहुत कम पीएसए पाया जाता है।
डॉ.के.के.शर्मा ने बताया कि अधिकतर मरीजों को इस बीमारी की जानकारी नहीं होती क्योंकि वो इसे बढ़ती उम्र का हिस्सा मानते हैं। जब अचानक और जल्दी-जल्दी यूरिन करने की समस्या होती रहती है तो अधिकांश लोगों को अहसास हुआ कि कोई समस्या अवश्य है। इस समस्या का यह प्रथम लक्षण कहा जा कसता है। यदि दवाई देने के बाद भी लक्षण अनियंत्रित रहते हैंए तो सर्जरी से प्रोस्टेटिक टिश्यू को निकालना अंतिम विकल्प होता है।