जयपुर

जयपुर में खत्म नहीं हुआ आंदोलन तो प्रदेशभर की अदालतों में ठप्प हो सकता है कामकाज

राजधानी में पिछले 10 दिन से चल रहे न्यायिक कर्मचारियों के आंदोलन का असर अब पूरे प्रदेश पर भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले चल रहा यह आंदोलन अब प्रदेशव्यापी हो सकता है।

जयपुरNov 28, 2022 / 01:07 pm

Arvind Palawat

जयपुर। राजधानी में पिछले 10 दिन से चल रहे न्यायिक कर्मचारियों के आंदोलन का असर अब पूरे प्रदेश पर भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले चल रहा यह आंदोलन अब प्रदेशव्यापी हो सकता है। सोमवार और मंगलवार को संंघ के सभी जिलाध्यक्ष जयपुर पहुंचेंगे और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। यदि जल्द ही मांगों पर सहमति नहीं बनती है तो प्रदेश की सभी अदालतों में कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर कार्य बहिष्कार कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो रोजाना लाखों मुकदमों की सुनवाई प्रभावित होगी।
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बता दें कि इससे पहले भी जिलाध्यक्षों की बैठक हो चुकी है। इसमें प्रस्ताव पारित किया गया था कि आह्वान किए जाने पर सभी जिलों में कार्य बहिष्कार किया जाएगा। सोमवार को अजमेर, झालावाड़, कोटा, टोंक, सवाई माधोपुर, अलवर, भरतपुर, बाड़मेर, दौसा, धौलपुर, बारां, राजसमंद और करौली जिलों से संघ के जिलाध्यक्ष और उनके साथ कर्मचारी भी जयपुर पहुंच गए हैं। वहीं, मंगलवार को संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र नारायण जोशी भी यहां पहुंचेंगे और आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।

काली पट्टी बांध किया काम

इधर, सोमवार से प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ से जुड़े पदाधिकारी एवं कर्मचारी काली पट्टी बांध कर काम कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने जयपुर में चल रहे आंदोलन का समर्थन करेंगे। फिलहाल जयपुर को छोड़कर अन्य कोर्ट में ये कर्मचारी काली पट्टी बांध विरोध ही जताएंगे और आगामी निर्णय तक न्यायिक कामकाज करते रहेंगे।

मांगों पर नहीं बनी सहमति

बता दें कि 10 नवंबर को चतुर्थ श्रेणी न्यायिक कर्मचारी सुभाष मेहरा की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में न्यायिक अधिकारी के आवास पर हुई थी। सुभाष के परिजनों ने पुलिस में रिपोर्ट दी, जिस पर अब तक मामला दर्ज नहीं किया गया। कर्मचारी की मौत और पुलिस के रव्वैये से गुस्साए कर्मचारियों ने 18 नवंबर से यह आंदोलन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने एफआईआर दर्ज करने, मामले की जांच सीबीआई से कराने और मृतक के आश्रित को सरकारी नौकरी एवं मुआवजा देने की मांग उठाई है। लेकिन, अभी तक उनकी मांगों पर सरकार एवं प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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