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जयपुर

फीस माफी के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका

तीन महीने की फीस माफ करने और आगामी सत्र में फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने की गुहार

जयपुरApr 08, 2020 / 10:10 pm

KAMLESH AGARWAL

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High court bench will determine interim fees

जयपुर।

कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने के लिए लॉक डाउन से आमजन आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसी का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर हुई है। जिसमें कहा है कि निजी स्कूलों पर कम से कम तीन महीने की फीस वसूली पर रोक लगनी चाहिए।
जनहित याचिकाकर्ता अधिवक्ता राजीव भूषण बंसल ने कहा है कि कोविड: 19 के संक्रमण को रोकने के लिए देश व प्रदेश में लॉक डाउन चल रहा है। जिससे काम धंधे ठप्प हो गए हैं, लोग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं । इस वक्त लोगों के पास आय का अन्य स्रोत भी नहीं है। ऐसे में निजी स्कूलों की फीस देना आमजन के लिए संभव नहीं है। फिलहाल निजी स्कूल्स का संचालन भी बंद है और वहां पर भी कामकाज नहीं हो रहे हैं। इसलिए अदालत निजी स्कूल संचालकों को निर्देश दे कि वे अभिभावकों की तीन महीने की फीस माफ कर दें। इसके अलावा आगामी शैक्षणिक सत्र में भी स्कूल संचालक फीस में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करें। स्कूलों को सेनेटाइजेशन करने सहित साफ-सफाई रखने और मास्क के संबंध में भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए। जनहित याचिका को अत्यंत आवश्यक बताते हुए जल्द सुनवाई के लिए भी प्रार्थना पत्र दायर किया गया है।
वरिष्ठ आरएएस का एसडीएम पद पर तबादला करने पर मांगा जवाब

राजस्थान प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी का तबादला एसडीएम पद पर करने पर मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव को नोटिस जारी कर राजस्थान उच्च न्यायालय ने जवाब मांगा है। न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने यह आदेश आरएएस अधिकारी करतार सिंह की याचिका पर दिए।
याचिका में कहा गया कि वह बीसलपुर परियोजना में एडीएम पुनर्वास के पद पर कार्यरत था। गत 28 मार्च को राज्य सरकार ने उसका तबादला धरियाबाद प्रतापगढ़ में एसडीएम के पद पर कर दिया। जबकि एडीएम का तबादला एडीएम स्तर के पद पर ही किया जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया कि पिछले करीब डेढ़ सात में उसका आठ बार तबादला किया जा चुका है। जबकि वह गंभीर बीमारी से भी पीडित है। सुनवाई के दौरान स्थानीय किसान नानू गुर्जर की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर पक्षकार बनने की गुहार की गई। प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि आरएएस स्थानीय निवासी हैं और शिकायत पर ही राज्य सरकार ने तबादला किया है। इसके अलावा उनके पद पर दूसरे आरएएस अधिकारी ने पदभार संभाल लिया है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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