राज्य सरकार की ओर से विभिन्न निगमों में नियुक्त ऐसे पदाधिकारी जिन्हें सरकार से केबिनेट एवं राज्य मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। इसके साथ ही राज्य सरकार के विभिन्न आयोगों में नियुक्त अध्यक्ष एवं सदस्य को भी इस योजना के लाभ से अलग कर दिए गए हैं। इसके लिए सर्कूलर जारी किया गया है।
पेंशनर्स, कर्मचारी भी बाहर
मिली जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारी सहकारी समितियों से जुड़े हुए हैं। जनप्रतिनिधियों की राजनीति में जाने की शुरूआती सीढ़ी सहकारी समितियों में भागीदारी को माना जाता है। कई जनप्रतिनिधि फसली ऋण योजना का लाभ भी ले रहे हैं। ऐसे में सरकार ने यह निर्णय लेकर सिर्फ जरूरतमंद किसान को ही योजना का लाभ देने का फैसला किया है।
यूनियन ने की थी मांग
ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक एम्पलाईज यूनियन, ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव एवं सहकारी साख समितियां एम्पलाईज यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सूरज भान सिंह आमेरा ने बताया कि यूनियन ने सरकार से इस संबंध में मांग की थी। यूनियन की मांग पर सरकार ने बड़ा फैसले लेते हुए सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स, आयकरदाता किसान और जनप्रतिनिधियों को योजना से बाहर कर दिया है। यूनियन से सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। यूनियन ने सरकार से यह मांग भी कि है कि योजना से बाहर किए गए इस सभी तरह के व्यक्तियों को बिना ब्याज का फसली ऋण भी नहीं दिया जाए।