40 हजार वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर जारी
कोरोना से जंग के लिए सरकार ने कसी कमर
40 हजार वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर जारी
नई दिल्ली. कोरोना के प्रकोप के चलते इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) व्यापक स्तर पर क्वारंटाइन पर रखे या खुद से गए लोगों की स्क्रिनिंग की तैयारी में जुट गया है। इसी के तहत आइसीएमआर ने 5 लाख एंटीबॉडी किट की आपूर्ति के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। इस किट के जरिए लाखों लोगों की प्राथमिक जांच की जाएगी। उसी के आधार पर कोरोना के फैलाव का पता चलेगा।
एंटीबॉडी किट के साथ ही आइसीएमआर 7 लाख आरएनए किट खरीदेगी। वहीं, कुल 40 हजार वेंटिलेटर भी खरीदे जाएंगे। वर्तमान में आरएनए किट के जरिए ही कोरोना की जांच की जा रही है। इन किटों की इतनी बड़ी संख्या में मांग से माना जा रहा है कि भारत अब व्यापक स्तर पर संक्रमित का पता लगाने में जुट गया है, जिससे इसके फैलाव और लडऩे की कोशिश की जा सके। बताया जा रहा है कि 25 मार्च तक देश में 25,144 में से 24,254 नमूनों का ही परीक्षण किया गया है। आइसीएमआर ने किट निर्माताओं से आपूर्ति, समयरेखा और क्षमता के बारे में भी जानकारी मांगी हैं। इन सभी परीक्षण किटों की आपूर्ति के स्थान डिब्रूगढ़, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, भोपाल और दिल्ली हैं। आइसीएमआर ने यह भी संकेत दिया है कि यह समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक से अधिक विक्रेताओं से अनुबंध किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एंटीबॉडी खरीद का यह फैसला दक्षिण कोरिया की तर्ज पर किया है। दक्षिण कोरिया में लोगों की बड़े स्तर पर स्क्रिनिंग कर इस बीमारी को बढऩे में रोकने में काफी हद तक सफलता पाई है।
यह है एंटीबॉडी किट : देश में अभी तक कोरोना की जांच आरएनए किट से की जा रही है। आरएनए किट से जांच महंगी, जटिल है और इसमें समय भी अधिक लगता है। वहीं, एंटीबॉडी किट कुछ घंटों में ही शरीर में हो रहे बदलावों के बारे में जानकारी देगा। यह एंटीबॉडी किट प्राथमिक स्तर पर संक्रमित होने ना होने की जानकारी देगा। एंटीबॉडी परीक्षण बहुत सरल है। बस खून की एक बूंद की आवश्यकता होती है और परिणाम केवल एक-दो घंटे में उपलब्ध होंगे।
संक्रमण को हराने वालों के खून से इलाज
न्यूयॉर्क. डॉक्टर कोरोना के इलाज में इस संक्रमण से जंग जीत चुके लोगों का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। न्यूयॉर्क के चर्चित माउंट सिनाई अस्पताल के डॉक्टरों का मानना है कि स्वस्थ्य हो चुके लोगों के रक्त का प्लाजमा कोरोना से लडऩे वाले एंटीबॉडी समृद्ध ोत हो सकते। यदि इस प्लाजमा को कोरोना के मरीजों को चढ़ा दिया जाए तो वायरस को मात दी जा सकती है। इस विधि का प्रयोग कई वर्षों से इन्फ्लूएंजा और इबोला के इलाज में किया जाता रहा है।
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