जयपुर

Brama Mandir – इकलौता मंदिर जहां की जाती है ब्रह्माजी की पूजा

हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों बनारस या प्रयाग की तरह ही पुष्कर का भी अहम स्थान है। ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम, द्वारका आदि धामों की यात्रा करने वाले किसी तीर्थयात्री की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक वह पुष्कर की झील के पवित्र जल में स्नान नहीं कर लेता।

जयपुरMar 05, 2020 / 11:16 am

deepak deewan

Pushkar Brama Mandir

पुष्कर:
राजस्थान की अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित पुष्कर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। हिंदुओं के लिए तो पुष्कर बहुत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों बनारस या प्रयाग की तरह ही पुष्कर का भी अहम स्थान है। ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम, द्वारका आदि धामों की यात्रा करने वाले किसी तीर्थयात्री की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक वह पुष्कर की झील के पवित्र जल में स्नान नहीं कर लेता। यही कारण है कि सनातन धर्मावलंबियों को अपने जीवन में एक बार पुष्कर की यात्रा अवश्य करने को कहा जाता है।
पुष्कर नगरी राजस्थान की राजधानी जयपुर के दक्षिण पश्चिम में स्थित अजमेर के पास स्थित है। मंदिरों और झीलों के लिए प्रसिद्घ पुष्कर अजमेर से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर है। अरावली पर्वत श्रृंखला का नाग पर्वत अजमेर और पुष्कर को अलग करता है। पुष्कर को भगवान ब्रह्मा का निवास स्थान भी कहा जाता है। पुष्कर दरअसल भगवान ब्रह्मा के एकमात्र मंदिर के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। मन्दिर के बगल में ही एक झील है जिसे पुष्कर झील कहा जाता है। धार्मिक नजरिए से पुष्कर झील का भी बहुत महत्व है. यह पवित्र झील के रूप में जानी जाती है, जहां स्नान से पुण्यलाभ मिलता है।

भगवान ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक देव हैं। ब्रह्माजी को सृष्टि का रचयिता माना गया है। मान्यता है कि सरस्वतीजी ने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया था कि पृथ्वी के लोग कभी उनकी पूजा नहीं करेंगे। बाद में उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने कहा कि ब्रह्माजी पुष्कर में पूजे जाएंगे। एक अन्य मत के अनुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र नारद ने उन्हें भुला दिए जाने का यह श्राप दिया था। यही कारण है कि पुष्कर के अलावा और कहीं भी ब्रह्माजी का मंदिर नहीं है।

पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि पद्म पुराण में पुष्कर झील के आविर्भाव का उल्लेख है. इसके अनुसार यहां झील का निर्माण उस समय हुआ ब्रह्माजी के हाथ से कमल का फूल पृथ्वी पर गिर पड़ा। इससे पानी की तीन बूदें पृथ्वी पर गिर गयी, जिसमें एक बूंद पुष्कर में गिरी। इसी बूंद से पुष्कर झील का निर्माण हुआ। विद्वानों के अनुसार पुष्कर शब्द का अर्थ भी यही होता है— ऐसा तालाब जिसका निर्माण फूल से हुआ हो।
कैसे पहुंचे पुष्कर
पुष्कर पहुंचने के लिए सबसे समीपी रेलवे स्टेशन अजमेर है. राजस्थान के विभिन्न भागों से पुष्कर के लिए बस व टैक्सी चलती है।
राजधानी जयपुर से पुष्कर की दूरी 145 किमी और दिल्ली से 415 किमी है। जयपुर हवाई अड्डे से भी टैक्सी या बस से पुष्कर पहुंच सकते हैं। अजमेर के घूंघरा और पुष्कर में देवनगर में हैलीपैड भी हैं।
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