राजस्थान में नए सीएम पद को तय करने की मशक्कत के बीच कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका आगा है। दरअसल, जिस राफेल डील में करोड़ों की अनियमितता और भ्रष्टाचार होने को लेकर कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार पर हमलावर रही, उस राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मोदी सरकार को बड़ी राहत दे डाली है। शीर्ष अदालत ने देश की बहुचर्चित रफाल डील की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
मोदी सरकार को राहत, कांग्रेस को झटका
सियासी घमासान की वजह बनी रफाल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दे दी है। रफाल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने डील की जांच को लेकर दाखिल की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने संबंधित जनहित याचहकाएं खारिज करते हुए कहा कि राफेल लड़ाकू विमान की खरीद की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि कीमत देखना कोर्ट का काम नहीं है।
इससे पहले 14 दिसंबर को देश की शीर्ष अदालत ने इस डील को लेकर जांच किए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की थी। गोगोई ने सुनवाई के दौरान 14 नवंबर को रक्षा संबंधी इस डील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
देशभर में कांग्रेस का हुआ ‘हल्ला बोल’ देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत अन्य कुछ दलों ने राफेल डील मामले पर मोदी सरकार को जमकर घेरा था। इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने देशभर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। कांग्रेस का आरोप था कि 36 राफेल जेट विमानों की खरीद में अनियमितता बरती गई है। हालांकि केंद्र सरकार विपक्ष के इन दावों को लगातार खारिज करती रही। आपको बता दें कि फ्रांस के साथ हुई राफेल डील में भारत ने 58,000 करोड़ रुपये की कीमत वाले 36 राफेल जेट खरीदने का समझौता किया है।
अदालत में ऐसे पहुंचा था मामला दरअसल, एडवोकेट एमएल शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में अदालत की निगरानी में डील की जांच कराने की मांग की गई थी। जबकि इसके बाद विनीत ढांडा नाम के एक अन्य अधिवक्ता ने भी ऐसी ही मांग करते हुए अदालत में अर्जी डाली थी।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह ने भी रफाल डील के खिलाफ याचिका दायर कर इस मामले की जांच की मांग कोर्ट से की थी। हालांकि इससे पहले पूर्व केंद्र मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी और प्रशांत भूषण भी याचिका दायर कर इस तरह की मांग उठा चुके हैं।