तो बचेंगे करोड़ों रूपए
रेलवे के इस निर्णय से बॉक्स पोर्टर के पेटे होने वाले करोड़ों रुपए हर वर्ष बचेंगे। रेलवे ने उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को लागू करने की योजना बनाई थी। इससे रेलगाडियों में ड्राइवर और गार्ड के बक्सों को चढ़ाने-उतारने में लगने वाले समय की बचत होगी। वहीं रेलगाडिय़ों का जंक्शन रेलवे स्टेशनों पर ठहराव में लगने वाला अतिरिक्त समय कम होगा।
ड्राइवर और गार्ड की ड्यूटी जहां भी पूरी होती है, वहां यह बॉक्स उतारे जाते हैं और रेलगाड़ी में जहां से नया ड्राइवर और गार्ड ड्यूटी शुरू करता है, वहां यह बॉक्स रेल इंजन और गार्ड के डिब्बे में रखे जाते हैं। क्रू चेंज (गार्ड-ड्राइवर की अदला-बदली) रेलवे स्टेशनों पर बॉक्स रूम और बॉक्स पोर्टर की ड्यूटी रहती है।
अमूमन जंक्शन रेलवे स्टेशनों पर क्रू चेंज होता है। ऐसे में वहां आठ-आठ घंटे की ड्यूटी में छह बॉक्स पोर्टर नियुक्त होते हैं। तीन बॉक्स पोर्टर ड्राइवर और तीन बॉक्स पोर्टर गार्ड के लिए नियुक्त होते हैं। वह रेलगाड़ी से गार्ड और ड्राइवर का बॉक्स उतार बॉक्स रूम में छोड़ते हैं और वहां से उठा कर रेलगाड़ी में चढ़ाते हैं।
अब काम के नहीं है बॉक्स
रेलवे की ओर से गार्ड और ड्राइवर को बॉक्स देने की योजना रेलवे संचालन के साथ ही शुरू हुई थी, तब संसाधन सीमित थे। स्टेशनों की संख्या भी कम थी। रेलगाडियों की गति भी धीमी थी। गार्ड व ड्राइवर बॉक्स में रहने वाले राशन संबंधी सामान अनुपयोगी हो गया है। रेलवे स्टेशनों पर जगह जगह भोजन उपलब्ध होने लगा है। रेलवे स्टेशनों पर भी रखरखाव संबंधी टूल उपलब्ध हो गए हैं। रेलवे के इलेक्ट्रिीफिकेशन होने के बाद बॉक्स के टूल अनुपयोगी हो गए हैं।
रेलवे लगभग दो फीट गुणा दो फीट का लोहे का बॉक्स ड्राइवर और गार्ड को नौकरी ज्वाइनिंग के समय आवंटित करता है। यह उन्हें व्यक्तिगत रूप से आवंटित होता है। इसमें प्लास, चाबी, पाना, तीन ताले, चैन, पूल, दो लाइट, ट्रॉर्च, तीन झंडी, व्हीकल बोर्ड, पटाखे, फस्र्ट एड बॉक्स, टाइम टेबल, किताबें, एमरजेंसी में भोजन बनाने के लिए नमक, मिर्च, मसाले आदि होते हैं। ड्राइवर के बॉक्स में कुछ टूल अतिरिक्त होते हैं। यह बॉक्स ड्राइवर और गार्ड को इसलिए दिया जाता है कि आकस्मिक रूप से रेलगाड़ी में खराबी या बीच रास्ते ठहरने पर उपयोग किया जा सके।
शिवलाल मीना, स्टेशन अधीक्षक, सवाईमाधोपुर