कांटे का मुकाबला— प्रदेश की दोनों सीटों पर कांटे का मुकाबला देखने को मिला हैैं। मंडावा में कांग्रेस की रीटा चौधरी और भाजपा की सुशीला सींगड़ा के बीच चुनावी लड़ाई रही है। कांग्रेस इस सीट पर खुद की राह आसान मान रही हैैं और उसके पीछे ये तर्क दिए गए हैं कि 2018 में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे तो कांग्रेस की प्रत्याशी रीटा चौधरी मात्र दो हजार के अंतर से चुनाव हारी थी। भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ उस वक्त विधायक बने थे। बाद में झुंझुनूं से सांसद चुने जाने के बाद खींचड़ ने विधानसभा से अपना इस्तीफा दे दिया था। मंडावा सीट की भाजपा प्रत्याशी पहले कांग्रेस में थी। बाद में भाजपा में उन्हें शामिल कर टिकट दिया गया। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के दस माह के शासन को विफल बताते हुए अपनी जीत का दावा किया है।
वहीं खींवसर सीट पर कांग्रेस के हरेन्द्र मिर्धा की टक्कर रालोपा के नारायण बेनीवाल से है। इस सीट पर नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा ज्यादा दांव पर हैं क्यों कि वे लगातार तीन बार विधायक बने थे। हनुमान ने अपने छोटे भाई नारायण बेनीवाल के लिए पूरा दम लगा रखा था। वहीं कांग्रेस के मिर्धा 1998 के बाद एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं और इसीलिए उन्होंने इस बार कोई कसर नहीं छोड़ी है। दोनों के लिए संघर्ष आसान नहीं रहा हैं।
दोनों विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के कुल 525 मतदान केन्द्रों पर बिना किसी बाधा के मतदान प्रक्रिया हुई। मतदान प्रक्रिया के दौरान किसी भी क्षेत्र से किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना प्राप्त नहीं हुई। वास्तविक मतदान के समय मंडावा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 3 वीवीपेट को एवं खींवसर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 5 वीवीपेट को तकनीकी खराबी के कारण बदला गया है, इससे मतदान बाधित नहीं हुआ है।