जयपुर

जमीन खरीद, विकास कार्य और नौकरशाही की पोल खोलने वाले सवाल भी हुए खत्म

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जयपुरJul 15, 2018 / 09:31 am

Santosh Trivedi

जयपुर। राज्य विधानसभा की ओर से गत 4 विधानसभाओं के खत्म किए गए लंबित सवालों में ज्यादातर सवाल जनहित से जुड़े या ऐसे थे जिनमें नौकरशाही की कार्यशैली की पोल खुल रही थी। यही कारण है कि राज्य की नौकरशाही ने लम्बे समय तक सवालों को लंबित रखा। आज चौदहवीं विधानसभा में भी ज्यादातर इसी तरह के सवाल लंबित चल रहे हैं। दसवीं से तेरहवीं विधानसभा के खत्म किए गए लंबित सवालों की बात करें तो तेरहवीं विधानसभा में विधायक रोहिताश्व कुमार, वासुदेव देवनानी और अशोक पीचा को ऐसे सवालों के जवाब नहीं मिले, जो जनहित के मुद्दों से जुड़े हैं। इनमें से देवनानी तो आज शिक्षा मंत्री हैं।
 

ऐसे सवाल हुए
नॉर्थ इण्डिया आइटी पाक्र्स प्राइवेट लिमिटेड, रियल अर्थ एस्टेड प्राइवेट लिमिटेड, स्काइ लाइट रियलिटी लिमिटेड और स्काइ लाइट हॉस्पिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियों ने वर्ष 2010-11, 2011-12 और 2012-13 में कृषि भूमि की बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर जिलों में कितनी जमीन खरीदी, बाद में कब-कब इस जमीन का बेचान किया। अजमेर में सीवर लाइन डालने के काम, कितने क्षेत्र में सीवर लाइन डाले जाने की योजना और काम पूरा होने के साथ ही सड़क मरम्मत को लेकर बने एक्शन प्लान की जानकारी मांगी गई थी। राज्य में कितने कर्मचारी-अधिकारियों के खिलाफ 16 सीसीए के तहत मामले चल रहे हैं। जांच में कितने दोषी माने और अब तक कितनों के खिलाफ कार्रवाई हुई। दोषी माने जाने के बाद भी कितने अधिकाफी फील्ड पोस्टिंग पर लगे हैं। ऐसे अधिकारी, जिनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के मामले लंबित चल रहे हैं।
 


गत 4 विधानसभाओं के हजारों सवाल खत्म (ड्रॉप) करना एक तरह से लोकतंत्र की हत्या करने के समान है। लोकतंत्र की यह शर्मनाक घटना है। आगामी मानसून सत्र के पहले ही दिन सदन में इस मामले में जवाब मांगा जाएगा। 1952 से आज तक विधानसभा में कभी सवाल खत्म नहीं हुए।
हनुमान बेनीवाल, विधायक
 

विधानसभा में सवाल पूछना ही विधायक का सबसे बड़ा अधिकार है। विधानसभा अब इसी अधिकार को छीन रही है। सवालों को खत्म करने का निर्णय एकदम गलत है। विधानसभा सचिवालय की भी जिम्मेदारी बनती है कि विधायकों को समय पर सवालों का जवाब दिलाए। पांच साल निकल जाते हैं, लेकिन जवाब नहीं मिलते।
रमेश मीणा, उपनेता प्रतिपक्ष
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