राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी ने अपनी सभी जिला और विधानसभा कमेटियों को भंग कर दिया है। साथ ही 7 दिन के भीतर नई कमेटियां बनाने का भी फैसला लिया गया है। बसपा उपाध्यक्ष आनंद कुमार, राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर आकाश आनंद और राजस्थान के मुख्य प्रभारी व सांसद रामजीलाल की मौजूदगी में नई दिल्ली स्थित बसपा मुख्य कार्यालय में हुई बैठक में ये महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
बसपा राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष भगवान् सिंह बाबा ने बताया कि पार्टी ने वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र कड़े कदम उठाते हुए कुछ बड़े फैसले लिए हैं। इनमें पार्टी की ज़िले और विधानसभावार गठित कमेटियों को भंग किया गया है। उन्होंने कहा कि 7 दिवस में इन सभी कमेटियों का नए सिरे से गठन किया जाएगा।
गौरतलब है कि राजस्थान में वर्ष 2023 को प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में भले ही अभी वक्त नज़र आ रहा हो, लेकिन सभी राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रमुख विरोधी दल भाजपा ही नहीं, बल्कि रालोपा, आप और बसपा जैसी पार्टियों में भी हलचलें तेज़ होने लगी हैं।
निष्क्रीय नेताओं की छुट्टी, सक्रीय को जगह
प्रदेशाध्यक्ष भगवान् सिंह बाबा के अनुसार बसपा नेतृत्व अब राजस्थान के मिशन 2023 पर फोकस करके आगे बढ़ रहा है। पार्टी की कोशिश करीब साल भर पहले गठित जिला और विधानसभा कमेटियों को नई शक्ल देने की है। संगठन से निष्क्रीय नेताओं की जगह सक्रीय नेताओं को जगह देने की कवायद में ही सभी कमेटियों को भंग किया गया है। अब नए सिरे से कमेटियों का गठन करते हुए कर्मठ, सेवाभावी, वफादार और जुझारू नेताओं को जगह दिए जाने की कवायद है।
‘बैलेंस ऑफ़ पावर’ में रहने की कवायद
बसपा प्रदेशाध्यक्ष भगवान् सिंह बाबा ने बताया कि दिल्ली में हुई बैठक में राजस्थान में पार्टी के मिशन 2023 को गति देने के संबंध में संवाद हुआ। संगठन को किस तरह से चुस्त-दुरुस्त किया जाए, किन मुद्दों को पुरज़ोर तरीके से उठाया जाए, नेताओं के दौरों और पदाधिकारियों की बैठकों की क्या रूपरेखा बनाई जाए सहित कई पहलुओं पर मंथन हुआ है। राजस्थान में मजबूत स्थिति बनाते हुए ”बैलेंस ऑफ़ पावर” की भूमिका में रहने को लेकर भी काम किया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लगेंगे दौरे
जानकारी के अनुसार प्रदेश बसपा फिलहाल नई टीमों के गठन पर फोकस होकर काम में जुटी है। इसके बाद इन टीमों को रीचार्ज करने के लिए समय-समय पर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के दौरे भी प्लान किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर आकाश आनंद के मई के पहले सप्ताह में राजस्थान दौरे पर आना संभावित है। वे यहां जिला और विधानसभावार गठित नई टीमों के नेताओं से मुलाक़ात करने आ सकते हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती भी एक्टिव मोड में
राजस्थान में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बसपा सुप्रीमो भी गंभीर और एक्टिव दिख रही हैं। मायावती ने बीते दिनों गहलोत सरकार पर तीखा बयानी हमला भी बोला था। उन्होंने राजस्थान सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि राज्य की कांग्रेस सरकार में दलितों व आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
उन्होंने डीडवाना व धौलपुर में दलित युवतियों के साथ बलात्कार, अलवर में दलित युवक की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या व जोधपुर के पाली में दलित युवक की हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा था कि ऐसी घटनाओं ने प्रदेश के दलित समाज को झकझोर कर रख दिया है।
उन्होंने कहा था कि इस तरह की घटनाओं से ये स्पष्ट होता है कि राजस्थान में, खासकर दलितों व आदिवासियों की सुरक्षा करने में वहां की कांग्रेसी सरकार पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। अतः यह उचित होगा कि इस सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। बीएसपी की यही मांग है।
6 नेताओं को विधानसभा पहुंचा चुकी है बसपा
राजस्थान में बसपा के प्रभुत्व का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े 6 नेता विधायक बनकर विधानसभा तक पहुंचे। हालांकि बाद में सभी के सभी 6 विधायकों ने दल-बदल करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया और बसपा की सदस्यता त्यागकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।