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जयपुर

अरुण सिंह के दौरे से संगठन को मिली नाउम्मीदी, आंख दिखाने वाले नेताओं पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह के दौरे से संगठन को नाउम्मीदी हाथ लगी है। लगातार बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ सिंह ने कोई एक्शन नहीं लिया। ऐसे में कार्यकर्ताओं में चर्चा तेज हो चली है कि अब बयानबाजी का दौर फिर तेज होगा।

जयपुरJun 23, 2021 / 08:44 pm

Umesh Sharma

अरुण सिंह के दौरे से संगठन को मिली नाउम्मीदी, आंख दिखाने वाले नेताओं पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

अरुण सिंह के दौरे से संगठन को मिली नाउम्मीदी, आंख दिखाने वाले नेताओं पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

जयपुर।

भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह के दौरे से संगठन को नाउम्मीदी हाथ लगी है। लगातार बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ सिंह ने कोई एक्शन नहीं लिया। ऐसे में कार्यकर्ताओं में चर्चा तेज हो चली है कि अब बयानबाजी का दौर फिर तेज होगा। अब सवाल उठता है कि जब बयानवीरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करनी थी तो सिंह के राजस्थान आने का मकसद क्या था ? सवाल यह भी कि आखिर लगातार संगठन को निशाने पर लेने वाले नेताओं को लेकर केंद्रीय नेतृत्व चुप क्यों है ?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी अपने राजस्थान प्रवास के दौरान सभी को एकजुट होकर संगठन को मजबूत करने का संदेश दिया था। बिड़ला आॅडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में भी नड्डा ने सभी नेताओं के हाथ उठाकर एकजुटता का संदेश दिया। मगर उसका कोई खास असर नजर नहीं आया। पार्टी में निरंतर बयानबाजी का दौर जारी रहा। ऐसे में अरुण सिंह की बयानवीरों को दी गई नसीहत से भी कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।
अब तक दूरी, सिंह आए तो दिखे नेता

संगठन की कई बैठकों से भाजपा के कई नेता नदारद नजर आ रहे थे। यही नहीं पिछले दिनों महापौर सौम्या गुर्जर के निलंबन पर हुए विरोध—प्रदर्शन में भी विधायक और विधायक प्रत्याशी नदारद रहे, लेकिन सिंह के जयपुर दौरे पर ये नेता सक्रिय रहे। विधायक कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी, अशोक लाहोटी, पूर्व विधायक राजपाल सिंह शेखावत, अशोक परनामी, कैलाश वर्मा, मोहन लाल गुप्ता, सुरेंद्र पारीक सरीखे नेता भी नजर आए। जबकि सभी नेता इन दिनों लगातार संगठन के निर्देशों पर अमल नही कर रहे थे। जिसे लेकर तीनों विधायकों से संगठन महामंत्री ने भाजपा मुख्यालय पर चर्चा भी की थी।
खेमेबाजी बढ़ने की उम्मीद

प्रभारी की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से संगठन में खेमेबाजी बढ़ने की उम्मीद है। वसुंधरा राजे खेमे के नेता लगातार मुखर हो रहे हैं। वहीं प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और उनकी टीम के नेता भी लगातार बयानों पर पलटवार कर रहे हैं। अब यह तकरार और बढ़ सकती है।

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