टिकट के लिए इन रिश्तेदारों की दावेदारी— वल्लभग नगर से जीते विधायक गजेन्द्र शक्तावत कांग्रेस के बड़े नेता रहे गुलाब सिंह शक्तावत के पुत्र थे। वे यहां से दूसरी बार विधायक बने थे। अब उनके निधन के बाद उनकी पत्नी प्रीति शक्तावत टिकट की दावेदारी कर रही हैं, वहीं गजेन्द्र सिंह के बड़े भाई देवेन्द्र सिंह शक्तावत भी टिकट के दावेदार है। इनकेे ही परिवार में गजेन्द्र सिंह के भांजे राजसिंह झाला, शक्तावत के भाई कुबेर सिंह चावड़ा भी अपनी अपनी दावेदारी रख रहे है। यहीं नहीं उद्योगपति भीमसिंह चूंडावत, पूर्व सरपंच हुंकारलाल मेनारिया भी टिकट चाह रहे है।
पहले होना था वल्लभनगर का चुनाव, फिर टाला गया— वल्लभनगर सीट का चुनाव पहले तीन सीटों पर उपचुनाव के साथ ही होना था लेकिन निर्वाचन विभाग ने इस सीट को छोड़ दिया था। उस वक्त भी चुनाव की घोषणा से पहले दावेदार सक्रिय हो गए थे और उन्होंने सीएम अशोक गहलोत से मुलाकातें कर अपनी दावेदारी रखी थी। इनमें शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत, भीमसिंह चूंडावत, देवेन्द्र सिंह शक्तावत और राजसिंह झाला के समर्थक मिले थे।
भाजपा तीसरे स्थान पर थी इस सीट पर— भाजपा इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस ने भाजपा के बागी और जनता सेना के रणधीर सिंह को करीब तीन हजार से ज्यादा वोट से हराया था।जनता सेना के रणधीर सिंह वापस चुनाव लड़ने की तैयारी में है। भाजपा किस पर दांव लगाती है, इसको लेकर मंथन कुछ दिन बाद होगा।
धरियावाद में परिवारवाद का सहारा— भाजपा विधायक गौतमलाल मीणा के निधन के बाद इस सीट पर भाजपा उनके परिवार में से किसी को टिकट दे सकती है ताकि सहानुभूति का कार्ड चल सके। कांग्रेस अपने पुराने उम्मीदवार पर ही दांव खेल सकती है।
चल गया था सहानुभूति का कार्ड— विधानसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में जीते प्रत्याशी दिवंगत विधायकों के परिवार में से ही थे। इनमें दो सीटों मनोज मेघवाल, गायत्री देवी कांग्रेस और दीप्ति माहेश्वरी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। सुजानगढ़ सीट से जीते मनोज कुमार, दिवंगत विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र हैं, सहाड़ा सीट से जीतीं गायत्री देवी इसी सीट से दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी व राजसमंद सीट से जीती दीप्ति माहेश्वरी दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की पुत्री हैं। भंवरलाल मेघवाल, कैलाश त्रिवेदी व किरण माहेश्वरी का निधन होने के कारण ही ये सीटें खाली हुई थीं।