उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं। तो वहीं अपनी हार पर पार्टी ने मंथन के लिए सभी नेताओं के साथ मीटिंग भी की। जबकि इस बीच एक बड़ी खबर है कि पिछले दिनों फिल्म
पद्मावत और दूसरे अन्य मुद्दों पर राज्य सरकार से नाराज चल रहे करणी सेना ने भाजपा की हार पर जमकर आतिशबाजी की है। प्रदेश के राजनीतिक में शायद ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि राजपूत समाज ने भाजपा से अपना काफी पुराना नाता तोड़ उनके खिलाफ मतदान किया।
सरकार के कुठाराघात का नतीजा- दो लोकसभा और एक विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद विभिन्न राजपूत संगठनों ने भाजपा की हार पर राजपूत सभा भवन के बाहर आतिशबाजी की और खुशी मनाई। तो वहीं इस मौके पर राजपूत रावणा राजपूत और चरण समाज संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा कि सरकार ने लोगों के साथ कुठाराघात किया है। जिसका यह नतीजा अब सबके सामने आ गया है। यह प्रदेश में भाजपा सरकार के अत्याचार का नतीजा और उसका जवाब है।
निकालेंगे स्वाभिमान यात्रा- उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने रवैया नहीं बदला तो आगामी विधानसभा चुनावों में उसे ऐसा ही नुकसान झेलना पड़ेगा। रावणा राजपूत सभा अध्यक्ष रणजीत सिंह सोडाला, राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेडी, चारण महासभा के अध्यक्ष सज्जन सिंह ने भी भाजपा की हार पर अपनी खुशी जताई। इस दौरान स्वाभिमान यात्रा समिति के प्रवक्ता करण सिंह राठौड़ ने कहा कि अब प्रदेश में स्वाभिमान यात्रा निकाली जाएगी।
संबंधों खटास का कारण- भाजपा की हार पर खुशी जाहिर करते हुए करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कहा कि हमने पहले ही भाजपा को इन उपचुनाव में हराने का ऐलान कर दिया था। जिसमें हम सफल रहे हैं। जानकारों की मानें तो भाजपा की हार कारण
आनंदपाल एनकाउंटर भी रहा है। जिसने भाजपा सरकार और राजपूत समाज के बीच संबंधो में दरार पैदा कर दी। बता दें कि आनंदपाल सिंह रावणा राजपूत समाज से थे। तो वहीं प्रदेश में राजपूत समाज खुद को रावणा राजपूत से काफी निकट संबंधों के लिए जाना जाता है।
गौरतलब है कि इसी साल के अंत में प्रेदश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा से उनका पारम्परिक वोट जाना किसी बड़ी मुश्किल से कम नहीं है। जिससे अगर समय रहते नहीं सुलझाया गया तो राजस्थान के बाद राजपूत समाज बाहर भी भाजपा से अपने संबंधों पर सोचने को मजबूर हो जाएगी। तो वहीं भाजपा के लिए एक बड़ी समस्या कि आखिर वो कैसे अपनी सबसे मजबूत
रिश्ते को टूटने से बचाए।