जयपुर

सरकार का सियासी क्वॉरंटीन, अब जुलाई में मंत्रिमंडल विस्तार होने पर संशय

सचिन पायलट खेमे के बाद अब बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों की नाराजगी के बावजूद राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार शीघ्र होने पर संशय है। जुलाई में यह विस्तार होने के आसार अब नजर नहीं आ रहे।

जयपुरJun 15, 2021 / 09:43 am

Kamlesh Sharma

सचिन पायलट खेमे के बाद अब बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों की नाराजगी के बावजूद राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार शीघ्र होने पर संशय है। जुलाई में यह विस्तार होने के आसार अब नजर नहीं आ रहे।

जयपुर। सचिन पायलट खेमे के बाद अब बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों की नाराजगी के बावजूद राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार शीघ्र होने पर संशय है। जुलाई में यह विस्तार होने के आसार अब नजर नहीं आ रहे। कारण, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मीडिया सेल ने कहा है कि पोस्ट कोविड प्रभाव से बचने के लिए चिकित्सकों की सलाह पर मुख्यमंत्री 2 माह तक व्यक्तिगत रूप से किसी से भी नहीं मिलेंगे। सभी कार्यक्रम, बैठकें तथा चर्चाएं वीडियो कॉन्फ्रेंस या वीडियो कॉल से करेंगे। हालांकि राजनीतिक हलके में इसे सरकार का ‘सियासी क्वॉरंटीन’ माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री की मीडिया सेल ने कहा है कि अब तक कोरोना को लेकर एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी रूप से बैठकें की गई हैं। पिछले 15-16 माह में लगभग 355 वीसी की जा चुकी हैं, जिनसे कई बार वार्ड पंच, सरपंच भी जुड़े। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मौजूदा घटनाक्रम में मंत्रिमंडल विस्तार के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इससे संदेश जाएगा कि पायलट खेमे के दबाव में यह विस्तार करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिन से गहलोत-पायलट खेमे के विधायक आमने-सामने की स्थिति में हैं। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों के लिए पायलट खेमा लगातार दबाव बना रहा है। इस खेमे का तर्क है कि अब ये काम टालने का कोई कारण नहीं बचा है। वहीं, बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी मुखर हो रहे हैं और मंत्रिमण्डल विस्तार शीघ्र करने की मांग कर रहे हैं।
गुढ़ा बोले, हम साथ नहीं देते तो आज गहलोत सरकार की पहली पुण्यतिथि मन रही होती
कांग्रेस में घमासान के बीच अब वे विधायक भी मुखर होकर मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं, जो बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इनमें लाखन मीणा के बाद अब वरिष्ठ विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि पिछले साल कांग्रेस के 19 विधायक और 3 निर्दलीयों के जाने के बाद हम बसपा से कांग्रेस में आए 6 और 10 निर्दलीय विधायकों ने सरकार का साथ दिया था। वरना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस्तीफा देना पड़ता और आज गहलोत सरकार की पहली पुण्यतिथि मन रही होती। कांग्रेस आलाकमान और राज्य प्रभारी अजय माकन को समझना चाहिए कि वफादारी और गैरवफादारी क्या होती है। ढाई साल से ज्यादा समय निकल चुका है। हमारे वाले सभी दुखी हैं। गौरतलब है कि गुढ़ा पहले भी दो बार नाराजगी जता चुके हैं।
ढाई साल बीते, सत्ता में भागीदारी शीघ्र मिले: संदीप यादव
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए संदीप यादव ने भी कहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां अब शीघ्र होनी चाहिए। गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में भी समर्थन करने वाले बसपा विधायकों को सरकार में भागीदारी दी थी। इस बार भी उम्मीद है लेकिन सरकार को ढाई साल तो बीत चुके हैं। इस बारे में गहलोत से बात भी करेंगे।

सुभाष गर्ग और वेदप्रकाश सोलंकी के बीच शायराना जंग
तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने एक दिन पहले शायराना अन्दाज में ट्वीट कर पायलट समर्थक विधायकों पर निशाना साधा। गर्ग ने ट्वीट किया, ये मौसम ही है ऐसा, परिन्दे आतुर हैं घोंसला बदलने के लिए। इस पर अब पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने उसी अन्दाज में पलटवार किया है। सोलंकी ने ट्वीट किया, कुछ परिन्दे खुद का घोंसला कभी नहीं बनाते, वे दूसरों के बनाए घोंसलों पर कब्जा करते हैं। खुद का मतलब पूरा होते ही फिर उड़ जाते हैं। अगले सीजन में फिर किसी का घोंसला कब्जा लेते हैं। घना से भटके ये परिन्दे प्यास बुझाने के लिए कभी हैंडपम्प तो कभी पोखर में चोंच मारते नजर आते हैं। दूसरी ओर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गर्ग के ट्वीट को टैग कर लिखा, मुझे मालूम है उसका ठिकाना, फिर कहां होगा परिन्दा, आसमां छूने में जब नाकाम हो जाए।
कांग्रेस विधायकों के लिए लगाएं चिन्तन शिविर: संयम लोढ़ा
इधर, सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर कांग्रेस आलाकमान को विधायकों के लिए चिन्तन शिविर लगाने की नसीहत दे दी। उन्होंने कहा कि घोर अनुशासनहीनता के कारण कांग्रेस को प्रदेश स्तरीय चिन्तन शिविर लगाना चाहिए। यह समझ तो बननी चाहिए कि हम महात्मा गांधी और पंडित नेहरू की विरासत के सेवक हैं।

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