सीएम गहलोत ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि संवैधानिक रूप से राज्यों को आवंटित विषयों पर होने वाले राज्यों के अनिवार्य व्यय तथा प्रदान की जा रही सेवाओं में व्यय होने वाली धनराशि के मद्देनजर केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सेस एवं सरचार्ज में राज्यों को भी हिस्सेदारी मिले। उन्होंने आयोग से अनुरोध किया कि ऑफशॉर रॉयल्टी, सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश एवं स्पेक्ट्रम की बिक्री जैसे केंद्र सरकार के गैर कर राजस्व से भी राज्यों को हिस्सा दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य तथा छितरी आबादी के कारण राजस्थान में आमजन को सेवा प्रदायगी में प्रति इकाई लागत अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं अधिक आती है, इसे देखते हुए आयोग संसाधनों का अंतरण करते समय राजस्थान की इस विशेष स्थिति का ध्यान रखे। उन्होंने कहा कि राज्य की लागत असमानताओं और बैठक में उठाए गए मुद्दों को हस्तांतरण फॉर्मूले में शामिल किया जाए।
गहलोत ने कहा कि बीते कुछ समय से केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न में किए गए बदलाव से राज्यांश में बढ़ोतरी हुई है। इस कारण राज्यों को इन योजनाओं में अधिक राशि खर्च करनी पड़ रही है। अधिकतर योजनाएं जो पहले शत-प्रतिशत केंद्रीय भागीदारी, 90 अनुपात 10, 75 अनुपात 25 के आधार पर थीं, उन्हें अब 60 अनुपात 40 तथा बराबर की भागीदारी में बदल दिया गया है। राज्यों के हित पर इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि GST से मिलने वाले राजस्व में निर्धारित वृद्धि नहीं होने के कारण केंद्र द्वारा राज्यों को होने वाले घाटे की क्षतिपूर्ति का भुगतान 2024-25 तक किया जाए, इसके लिए वित्त आयोग केंद्र सरकार ( Central Government ) से सिफारिश करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उदय योजना के कारण प्रदेश के राजकोष पर 62 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ा है। उन्होंने राज्य के डिस्कॉम्स के लिए विशेष सहायता की सिफारिश करने का आग्रह किया। गहलोत ने बताया कि भू-जल दोहन में इस्तेमाल होने वाली बिजली की लागत अधिक होती है। किसानों पर इसका भार नहीं पडे़ इसके लिए राज्य सरकार को अनुदान देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा उत्पादन की प्रचुर सम्भावनाएं हैं। राज्य सरकार इसके लिए नीति बना रही है। इससे प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन तेजी से बढे़गा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में ऑटोमोबाइल, ट्रांसपोर्ट तथा टैक्सटाइल सहित अन्य कई क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं। राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों के बावजूद इन उद्योगों को बढ़ावा देने का हरसम्भव प्रयास कर रही है। मुख्य सचिव के स्तर पर Automobile एवं Textile उद्यमियों के साथ बैठक भी की गई है।
बैठक के बाद वित आयोग अध्यक्ष एनके सिंह ( NK Singh ) ने भी राज्य की मांगों को केंद्र सरकार के सामने रखने और सिफारिश करने की बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र से मिलने वाला अनुदान राज्यों का संवैधानिक हक है। आयोग सहानुभूति के साथ संतुलित रुख रखते हुए राजस्थान की आवश्यकताओं के अनुरूप वित्तीय संसाधन आवंटित करने की सिफारिश करेगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में कला, संस्कृति एवं पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इसका राज्य सरकार ( Rajasthan Government ) लाभ उठा सकती है। उन्होंने कहा कि यहां की ऎतिहासिक विरासत के संरक्षण एवं पर्यटन के विकास के लिए वित्त आयोग उचित सिफारिश करेगा।