इन सम्मेलनों के जरिए कांग्रेस एक तीर से दो निशाने साधने की जुगत में है। किसान सम्मेलनों के जरिये जहां किसानों को साधने की कोशिश होगी वहीं प्रदेश में चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव को फतह करने की भी कवायद की जाएगी।
बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ और चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडियां में होने वाले ये किसान सम्मेलन उपचुनाव की दृष्टि से भी कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों किसान सम्मेलनों को ऐतिहासिक और सफल बनाने के लिए सत्ता और संगठन ने पूरी ताकत झोंक रखी है। बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ में पिलानियों की ढाणी में ये किसान सम्मेलन होना है।
यहां होंगे किसान सम्मेलन
प्रदेश के बीकानेर के श्री डूंगरगढ़ में दोपहर 12 बजे तो चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया में दोपहर 2 बजे किसान सम्मेलन आयोजित होगा। सम्मेलनों को सफल बनाने की जिम्मेदारी गहलोत ने अपने विश्वस्त मंत्रियों को दी है। मातृकुण्डियां में किसान सम्मेलन की व्यवस्थाओं का जिम्मा सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना के पास है तो वहीं श्रीडूंगरगढ़ में किसान सम्मेलन का जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के कंधों पर है।
इसके अलावा चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को भीड़ जुटाने के साथ ही तमाम व्यवस्थाओं का जिम्मा दिया गया है। वहीं इन दोनों किसान सम्मेलनों में पांच जिलों से भीड़ लाने की तैयारी भी की गई है। इनमें राजसमंद, उदयपुर, भीलवाड़ा, चूरू और बीकानेर है।
पायलट-गहलोत पहली बार जाएंगे साथ
वहीं इन किसानों सम्मेलनों में सबसे दिलचस्प बात ये है कि प्रदेश में आए सियासी संकट के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच बड़ी दूरियां अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। सियासी संकट के बाद आज ये पहला मौका है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ विशेष विमान से साथ किसान सम्मेलनों में शिरकत करेंगे।
विशेष विमान में सीएम गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सुबह 11 बजे जयपुर एयरपोर्ट से श्रीडूंगरगढ़ के लिए रवाना होंगे।
इसलिए बदली किसान सम्मेलन की रणनीति
पार्टी के विश्वस्तों की माने तो पहले ये प्रदेश स्तरीय किसान सम्मेलन जयपुर शहर में होना प्रस्तावित है, लेकिन आगामी चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए इन्हें उपचुनावों से सटे क्षेत्रों में कराने का फैसला लिया, जिससे कि उपचुनाव में पार्टी का चुनावी शंखनाद हो सके।