dinner politics In Rajasthan : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot ) की ओर से बुधवार को राज्य के सभी विधायक, मंत्री और ब्यूरोक्रेटस को रात्रि भोज दिया जा रहा है। कार्यक्रम मुख्यमंत्री के सरकारी आवास 8 सिविल लाइंस पर रखा गया है। जानकारी के मुताबिक ये रात्रि भोज कांग्रेस सरकार के पहले बजट के पास होने के मौके पर दिया जा रहा है। इसमें कांग्रेस पार्टी के साथ ही भाजपा सहित अन्य सभी दलों व निर्दलीय विधायकों को निमंत्रण पत्र भेजा गया है।
यही नहीं जानकारी ये भी सामने आई है कि रात्रि भोज के लिए ब्यूरोक्रेट्स को भी आमंत्रित किया गया है। इसमें आईएएस, आईपीएस, आईएफएस के अलावा अन्य कुछ सेवाओं के अधिकारियों को भी बुलावा भेजा गया है। सभी को कार्यक्रम में परिवार सहित आने के लिए कहा गया है।
परम्परा या कुछ और?
मुख्यमंत्री की ओर से विधायकों और ब्यूरोक्रेसी को भोज कराना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री इस तरह की डिनर पार्टी का आयोजन कर चुके हैं। ये एक तरह से राजनीतिक परम्परा बन गई है। लेकिन हर बार इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जाते हैं। इसीलिए तो इस तरह के भोज और इससे जुडी सियासी हलचलों को ‘डिनर पॉलिटिक्स’ का नाम दिया गया है।
मुख्यमंत्री की ओर से विधायकों और ब्यूरोक्रेसी को भोज कराना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री इस तरह की डिनर पार्टी का आयोजन कर चुके हैं। ये एक तरह से राजनीतिक परम्परा बन गई है। लेकिन हर बार इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जाते हैं। इसीलिए तो इस तरह के भोज और इससे जुडी सियासी हलचलों को ‘डिनर पॉलिटिक्स’ का नाम दिया गया है।
क्या किसी बात का सता रहा खतरा?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से आयोजित हो रहे रात्रि भोज के इस बार कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल, बिते कुछ महीने कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छे नहीं गुज़रे हैं। चाहे बात कर्नाटक की हो या गोवा की। या फिर कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद रुठ जाने की। पार्टी की अंदरूनी हलचलें उबाल पर हैं। इन्हीं संकेतों को देखते हुए कुछ राज्यों में पार्टी की कमज़ोर होती पकड़ भी चर्चाओं में हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से आयोजित हो रहे रात्रि भोज के इस बार कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल, बिते कुछ महीने कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छे नहीं गुज़रे हैं। चाहे बात कर्नाटक की हो या गोवा की। या फिर कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद रुठ जाने की। पार्टी की अंदरूनी हलचलें उबाल पर हैं। इन्हीं संकेतों को देखते हुए कुछ राज्यों में पार्टी की कमज़ोर होती पकड़ भी चर्चाओं में हैं।
गौरतलब है कि कर्नाटक में पार्टी को ज़बरदस्त झटका लग चुका है। वहां जेडीएस के साथ उसकी गठबंधन सरकार गिर गई और भाजपा ने सरकार बना ली। कुछ इसी तरह का हाल गोवा में भी हुआ। वहां 10 से ज़्यादा कांग्रेसी विधायक बीजेपी के पाले में चले गए।
सूत्रों के मुताबिक़ कर्नाटक और गोवा में हुई इस उठापटक के बाद अब बीजेपी की नज़रें उत्तर भारत के दो महत्वपूर्ण राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश पर टिकी हुई हैं। ऐसे में इन राज्यों में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी संगठन में अंदरूनी हलचलें ज़ोर पकडे जाने की संभावनाएं हैं।
… तो इस वजह से है इस बार का डिनर?
जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार दिए जा रहे डिनर के ज़रिये पार्टी के तमाम कांग्रेस विधायकों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। प्रदेश सरकार को आने वाले दिनों में अपने विधायकों से किसी तरह का खतरा ना हो इसके लिए उन्हें एकजुट रखना ही सीएम का सबसे पहला मकसद बना हुआ है।
जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार दिए जा रहे डिनर के ज़रिये पार्टी के तमाम कांग्रेस विधायकों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। प्रदेश सरकार को आने वाले दिनों में अपने विधायकों से किसी तरह का खतरा ना हो इसके लिए उन्हें एकजुट रखना ही सीएम का सबसे पहला मकसद बना हुआ है।
इसी साल पायलट भी दे चुके डिनर
राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट इसी साल की जनवरी में रात्रि भोज दे चुके हैं। तब भोज के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा तमाम कांग्रेस विधायक और अन्य कांग्रेसी नेता भी पहुंचे थे।
मध्य प्रदेश में भी छाया डिनर पॉलिटिक्स
राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में भी पिछले दिनों डिनर पॉलिटिक्स सुर्ख़ियों में रहा था। वहां भी कमलनाथ गुट और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के बीच खींचतान और अन्य सियासी हलचलों के बीच ‘पोलिटिकल’ डिनर का आयोजन किया गया था। मंत्री तुलसी सिलावट के घर पर हुए इस डिनर में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य समेत लगभग सभी कांग्रेस विधायक पहुंचे थे। वहां भी इस डिनर के कई तरह से सियासी मायने निकाले गए थे। हालांकि सीएम कमलनाथ ने पत्रकारों से बातचीत में आश्वस्त किया था कि मध्य प्रदेश में कर्नाटक या गोवा जैसे कोई हालात नहीं हैं।
राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में भी पिछले दिनों डिनर पॉलिटिक्स सुर्ख़ियों में रहा था। वहां भी कमलनाथ गुट और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के बीच खींचतान और अन्य सियासी हलचलों के बीच ‘पोलिटिकल’ डिनर का आयोजन किया गया था। मंत्री तुलसी सिलावट के घर पर हुए इस डिनर में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य समेत लगभग सभी कांग्रेस विधायक पहुंचे थे। वहां भी इस डिनर के कई तरह से सियासी मायने निकाले गए थे। हालांकि सीएम कमलनाथ ने पत्रकारों से बातचीत में आश्वस्त किया था कि मध्य प्रदेश में कर्नाटक या गोवा जैसे कोई हालात नहीं हैं।