सोमवार को निजी अस्पतालों में भी मरीजों को उपचार नहीं मिल सका। डॉक्टरों की हड़ताल ( Doctors strike ) के बारे में कई मरीजों को जानकारी नहीं होने से वे अस्पतालों में पहुंच गए और दिनभर दवा और उपचार के लिए भटकते रहे। लेकिन उनको उपचार नहीं मिलने के कारण निराश लौटना पड़ा। इस दौरान अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं चालू रहीं।
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल सहित सभी बड़े अस्पतालों में 300 ऑपरेशन प्रभावित हुए। एसएमएस अस्पताल में नियमित तौर पर जहां करीब 284 ऑपरेशन होते हैं। वहीं सोमवार को 116 ऑपरेशन ही हुए। सीकर, चूरू, झुंझूनू में 600 से अधिक ऑपरेशन टाले जाने की सूचना है। प्रदेशभर में चिकित्सकों की हड़ताल के असर के चलते स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं।
ओपीडी कार्य बहिष्कार के कारण अस्पतालों की व्यवस्था गड़बड़ा गई। वहीं डॉक्टरों की हड़ताल की खबर सुनकर जिला अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या में गिरावट सामने आई हैं। चूरू में मेडिकल कॉलेज स्टाफ ने दो घंटे की पेन डाउन के बाद काम संभाला । ग्रामीण अस्पतालों में केवल आपातकालीन सेवा चालू रही। जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
क्या है मामला
दरअसल, नील रतन सरकार में इलाज के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई। जिसके बाद गुस्साए परिजनों ने उन सभी डॉक्टरों से बदसलूकी की और उनके साथ गाली गलोज की। इसके बाद बौखलाए सभी डॉक्टरों ने कहा कि, जब तक मृतक के परिजन हमसे माफी नहीं मांगेंगे तब तक हड़ताल ऐसे ही जारी रहेगी और हम परिजनों को प्रमाण पत्र नहीं देंगे।
दरअसल, नील रतन सरकार में इलाज के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई। जिसके बाद गुस्साए परिजनों ने उन सभी डॉक्टरों से बदसलूकी की और उनके साथ गाली गलोज की। इसके बाद बौखलाए सभी डॉक्टरों ने कहा कि, जब तक मृतक के परिजन हमसे माफी नहीं मांगेंगे तब तक हड़ताल ऐसे ही जारी रहेगी और हम परिजनों को प्रमाण पत्र नहीं देंगे।