राज्य सभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ( Rajya Sabha MP Dr. Kirori Lal Meena ) के नेतृत्व में किसानों का भूमि समाधि सत्याग्रह आंदोलन ( Bhumi Samadhi Satyagraha Movement ) जारी है। दौसा में लाडली का बास गांव में जारी आंदोलन में सांसद सहित विरोध जाता रहे किसानों ने ज़मीन समाधि में ही रहकर कड़ाके की सर्द रात गुज़ारी। केंद्र की ज़मीन अधिग्रहण को लेकर हो रहे इस विरोध में ग्रामीण महिलाएं भी शामिल हैं। इन महिलाओं ने भी रात भर ज़मीन समाधि में रहकर विरोध दर्ज करवाया। आंदोलन के चलते अब तक दो किसानों की तबियत बिगड़ने की बात सामने आई है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल भर्ती करवाया गया।
सोशल मीडिया पर पोस्ट हुई तस्वीरें
ठिठुरती रात में जारी ज़मीन सत्याग्रह आंदोलन की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी शेयर की जा रही हैं। सर्द रात में सांसद डॉ मीणा सहित पुरुष-महिला किसानों के सांकेतिक समाधि की तस्वीरें साझा की जा रही हैं। इन तस्वीरों को साझा करते हुए डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने लिखा, ‘भूमि समाधि आंदोलन के दौरान अभी भी धरनास्थल पर मौजूद हूँ, किसानों की मांगे पूरी नहीं होने तक कड़ाके की ठंड में यहीं रहूंगा।
ये है मामला
सांसद डॉ मीणा के नेतृत्व में किसान दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के लिए किये गये भूमि अधिग्रहण का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि वर्ष 2012 में किसानों ने 4 लाख 20 हजार की एक बीघा जमीन खरीदी थी, जिसको अधिग्रहण करने की एवज में उन्हें डीएलसी दर की दो गुना राशि बतौर मुआवज़ा दिया जा रहा है। जबकि आंदोलनरत किसानों की मांग है कि उन्हें डीएलसी दर का चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए। इसी का विरोध जताने के लिए लगभग 70 पुरुषों और 31 महिलाओं ने विरोध दर्ज़ करवाने और चार गुना मुआवज़ा दिए जाने की मांग पर सांकेतिक समाधि ली है। सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी किसानों के समर्थन में उतर गए हैं।
सांसद डॉ मीणा के नेतृत्व में किसान दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के लिए किये गये भूमि अधिग्रहण का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि वर्ष 2012 में किसानों ने 4 लाख 20 हजार की एक बीघा जमीन खरीदी थी, जिसको अधिग्रहण करने की एवज में उन्हें डीएलसी दर की दो गुना राशि बतौर मुआवज़ा दिया जा रहा है। जबकि आंदोलनरत किसानों की मांग है कि उन्हें डीएलसी दर का चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए। इसी का विरोध जताने के लिए लगभग 70 पुरुषों और 31 महिलाओं ने विरोध दर्ज़ करवाने और चार गुना मुआवज़ा दिए जाने की मांग पर सांकेतिक समाधि ली है। सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी किसानों के समर्थन में उतर गए हैं।
केंद्र के नियमों से मिले मुआवज़ा आंदोलन कर रहे किसानों का दावा है कि लगभग 15 हजार से अधिक किसान भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा न मिलने से परेशान हैं। आंदोलन के एक अन्य नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की योजना में मुआवजा राज्य सरकार के नियमानुसार और केन्द्र सरकार की योजना का मुआवजा केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार दिया जाता है। ये केन्द्र सरकार की योजना है इसलिए मुआवजा राशि केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार जब तक नहीं मिलेगी यह आंदोलन जारी रहेगा।
केन्द्र सरकार ने 2013 में पास किये गये बिल के अनुसार जो भूमि अधिग्रहण किया गया है उसका बाजार भाव से मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन राज्य सरकार अपने द्वारा तैयार किये गए फॉर्मूले से मुआवजा दे रही है, जो सरासर गलत है। उन्होंने बताया की सात माह में अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक चर्चा कर चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।