गर्मी के मौसम में शरीर में पानी को कमी को पूरा करने वाला फल तरबूज लोगों की पहली पसंद होता है। ये तरबूज ही है जो अपनी तासीर और ठंडक की वजह से लोगों को गर्मी के मौसम में बड़ी राहत देता है। लेकिन इस बार गर्मी कुछ इस कदर बढ़ी है कि लोगों को ठंडक पहुंचाने वाले तरबूज-खरबूज खुद ठंड के लिए तड़प रहे हैं।
हालात ये हैं कि पानी भरा रहने वाला तरबूज भी अब अंदर से सूखने लगा है। यहीं नहीं इसे उगाने वाले किसान भी बर्बादी की कगार पर आ गए हैं। तरबूज-खरबूज इस बार भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है। इसकी वजह से इस बार तरबूज-खरबूजे सूख कर बेल पर ही फट रहे हैं। किसान तरबूज-खरबूज को पालतू मवेशियों को खिला रहे हैं और फेंक रहे हैं। जोजवा निवासी सत्यनारायण तेली, शरीफ मंसूरी, श्यामलाल धोबी, नारायण शर्मा सहित अन्य किसानों की फसलें खेत में ही सड़ रही है।
बीगोद निवासी सांवरा माली ने बताया कि पांच बीघा में तरबूज-ख्ररबूज की फसल लगाई थी। मार्च महीने में ही अधिक गर्मी शुरू हो गई जिससे तरबूज और खरबूजे खराब होने लगे एवं बेल भी सूख गई। जोजवा निवासी श्यामालाल धोबी ने बताया कि पहली बार बड़ी उम्मीद के साथ फसल लगाई। फसल भी अच्छी चल रही थी परंतु मार्च महीने में ही भीषण गर्मी शुरू हो गई जिससे दो बीघा खेत की खरबूज फसल बर्बाद हो गई। जिससे करीब दो लाख का नुकसान हुआ। यही हाल क्षेत्र के कई किसानों का है जिनकी फसले बढ़ते तापमान से बर्बाद हो गई और किसानों को लाखों रुपयों का नुकसान हो गया।
टूटी उम्मीद कोरोना महामारी के चलते किसानों को दो वर्ष बाद फ़सलों के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी और इस बार किसानों ने अपने खेतों में तरबूज व खरबूज की फ़सके जमकर लगाई।अगेती फ़सलो को अच्छे दाम भी मिले लेकिन पछेती फसले भीषण गर्मी व सूखे की चपेट में आ गई।
सब्जियां भी हुई खराब इस बार मार्च महीने में ही तापमान 40 डिग्री तक पहुंच गया। अप्रेल में तो तापमान 45 डिग्री से अधिक होने लगा। इससे तरबूज-खरबूज के साथ सब्जियों की फसले भी बर्बाद हो गई। भीषण गर्मी से पानी का भी संकट बन गया। बोरवैल जवाब देने लगे जिससे बागवानी की फसलें भी सूखे की चपेट में आने लगी।
कृषि अधिकारी बोले मांडलगढ़ क्षेत्र में करीब 60 हेक्टेयर में तरबूज-खरबूज की फसलें लगाई गई । समय से पूर्व अधिक गर्मी पड़ने से फ़सलो में भारी नुकसान हुआ। प्रेमचंद सुखवाल, सहायक कृषि अधिकारी, बीगोद