न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने दामोदर रोपवेस की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय झंवर ने कोर्ट को बताया कि मंदिर श्रीगढ़ गणेशजी ट्रस्ट ने याचिकाकर्ता के प्रार्थना पत्र को दरकिनार कर प्रस्तावित रोप-वे के निर्माण की मंजूरी दी, जो रोपवे एक्ट के प्रावधानों के विरुद्ध है। इस कार्य में निविदा से संबंधित कानूनी प्रावधानों की अवहेलना भी की जा रही है। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता कंपनी संबंधित अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखे और एक माह या निर्णय होने तक कार्य पर यथास्थिति बनाए रखी जाए।
बता दें कि जयपुर में ब्रह्मपुरी स्थित नाहरगढ़ की पहाड़ी पर देश के एकमात्र बिना सूंड वाले बालरूपी भगवान गणेशजी विराजमान है। यहां ब्रह्मपुरी स्थित नहर के गणेश जी मंदिर से लेकर गढ़ गणेश मंदिर के बाहर तक 350 मीटर की दूरी का रोपवे निर्माण किया जा रहा है, जो पिछले साल अक्टूबर में ही शुरू हो हुआ था। यहां नौ करोड़ रुपए की लागत से सबसे बड़ा आटोमैटिक रोप वे बन रहा है, जिस पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। रोपवे का निर्माण दो साल में पूरा होना था, लेकिन एक महीने की रोक के बाद अब रोपवे निर्माण में देरी होना संभव है।
प्राचीन गढ़ गणेश मंदिर तक जाने के लिए आटोमैटिक रोप वे के निर्माण से भक्तों के समय की बचत होगी और बुजुर्गों को सहुलियत मिलेगी। रोपवे शुरू होने के बाद मात्र तीन मिनट में मंदिर तक पहुंचा जा सकेगा। अभी यहां 365 से अधिक खड़ी सीढ़ियां चढ़ने में भक्तों को लगभग 40 से 60 मिनट का समय लगता है। यहां छह ट्रॉलियों के जरिए महज तीन मिनट में दूरी तय होगी। खास बात ये है कि एक घंटे में 500 से यात्री आ-जा सकेंगे।